गोवा की राजधानी पणजी में शुक्रवार (30 मार्च) को इंटरनेशनल लॉ एसोसिएशन यानी आईएएल का एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया। आईएएल की भारतीय शाखा ने इस सेमिनार का आयोजन किया। इस सेमिनार में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस ए के सिकरी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। दो सत्र में आयोजित इस सेमिनार के उद्घटन सत्र को एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने भी संबोधित किया।

देश के वरिष्ठ जजों का मानना है कि बदलते दौर में व्यापार को देखते हुए देश के कानूनों में भी बदलाव होना चाहिए। गोवा में इंटरनेशनल कॉमर्शियल लॉ पर आयोजित सेमिनार में कई सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों ने इस बात की वकालत की। सेमिनार के मुख्य अतिथि और सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए के सिकरी ने आज के बदलते दौर में व्यापार को लेकर बने कानूनों पर बात की और कहा कि हम ग्लोबलाइजेशन के दौर में जी रहे हैं और हमे इसे स्वीकार करना होगा। इसी हिसाब से हमें कानून भी बनाने होंगे। 15 से 20 साल पहले मध्यस्थता के मामलों में सिर्फ भारतीय पक्षकार होते थे लेकिन अब स्थिति बदल गई है और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां सब जगह काम कर रही हैं और अब मध्यस्थता के मामलों में वो भी शामिल रहती हैं। कुछ कानूनों को बदला भी गया है लेकिन इसी हिसाब से कानूनों में और बदलाव करना होगा। जस्टिस सिकरी ने कहा कि ई कॉमर्स के दौर में उपभोक्ता मामलों और इसके कानूनों में भी संतुलन की जरुरत  है और फैसला देते हुए इन तमाम पहलुओं को देखा जाना चाहिए।

दो सत्र में आयोजित इस सेमिनार में जस्टिस आरएफ नरीमन ने देशी और विदेशी कंपनियों के बीच होने वाले विवादों पर बात की और उदहारण देकर विस्तार से विष्य के बारे में बताया। इस मामले में एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी और कोल इंडिया के बीच करार हुआ था और विवाद अदालतों के अधिकार क्षेत्र को लेकर हुआ था।

सेमिनार में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने भी अपने विचार रखे। वेणुगोपाल ने विदेशी लॉ फर्मों को देश के अंदर प्रैक्टिस करने की इजाजत देने की वकालत की।

सेमिनार में व्यापारिक परिस्थितियों में हो रहे बदवाल के चलते मध्यस्थता को लेकर विस्तार से बात हुई। गोवा में इंटरनेशनल कॉमर्शियल लॉ पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में कई अहम मामलों पर कई और वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here