पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला आवंटन के मामले में योगी सरकार भी पूर्व समाजवादी पार्टी सरकार के साथ खड़ी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर मामले में एमिकस क्यूरी द्वारा दाखिल उस रिपोर्ट का विरोध किया है जिसमे कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को पद छोड़ने के बाद बंगला अलॉट नहीं किया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को कुछ विशेषाधिकार होना चाहिए क्योंकि वो ऊंचे संवैधानिक पद पर होते हैं।
उत्तर प्रदेश ने एमिकस क्यूरी और वरिष्ठ एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम की दलील का विरोध करते हुए कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगला के हकदार हैं। जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को उत्तर प्रदेश के वकील ने अपने लिखित जवाब में कहा कि संशोधित नियम के तहत पूर्व मुख्यमंत्री को इस तरह का लाभ देना ठीक है क्योंकि उनका एक ख़ास वर्ग है। पूर्व मुख्यमंत्री हमेशा ही के विशिष्ट व्यक्ति होता है और इसलिए उसे विशेष लाभ पाने का अधिकार है। अखिलेश यादव सरकार ने नियम में परिवर्तन करके पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले अलॉट करने का प्रावधान किया था जिसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
पिछली सुनवाई में एमकिस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम की राय थी कि सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्रियों को ही नहीं, बल्कि पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री को भी सरकारी बंगला नहीं दिया जाना चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने याचिका का दायरा बढ़ाते हुए इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल और सभी राज्यों के एडिशनल एडवोकेट जनरल को सुनने का फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट लोक प्रहरी नाम के एक NGO की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए संशोधनों को चुनौती दी गई है। अब मामले की अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी।