समलैंगिक विवाह के खिलाफ केंद्र सरकार! Supreme Court में दायर किया हलफनामा

शीर्ष अदालत ने तीन जनवरी को कहा था कि वह उच्च न्यायालयों में लंबित समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने के लिये दायर याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिकाओं पर छह जनवरी को सुनवाई करेगी।

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SC on Agneepath
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Supreme Court: केंद्र सरकार ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर भारत में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने का विरोध किया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि समान-लिंग संबंध को समान रूप से नहीं माना जा सकता है। दरअसल, एक समलैंगिक जोड़े ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर समलैंगिक शादी को मान्यता देने की मांग की है।

सरकार ने हलफनामे में क्या कहा?

इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। जिसके बाद, केंद्र सरकार ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया। हलफनामे कहा गया कि समलैंगिकों का जोड़े के रूप में साथ रहना और शारीरिक संबंध बनाने की, भारत की पारिवारिक इकाई की अवधारणा से तुलना नहीं हो सकती। भारतीय परंपरा के अवधारणा में एक पुरुष और महिला शादी करते हैं, जिसमें पुरुष ‘पति’ और महिला ‘पत्नी’ होती है। दोनों विवाह के बाद बच्चे पैदा करते हैं और पुरुष ‘पिता’ और महिला ‘माता’ बनती है।

Supreme Court on Anand Giri
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13 मार्च को होगी सुनवाई

मामले में अब 13 मार्च को सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच इनकी सुनवाई करेगी। बता दें कि अदालत ने 6 जनवरी को, दिल्ली उच्च न्यायालय सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित ऐसी सभी याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था।

शीर्ष अदालत ने तीन जनवरी को कहा था कि वह उच्च न्यायालयों में लंबित समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने के लिये दायर याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिकाओं पर छह जनवरी को सुनवाई करेगी।

पिछले साल 14 दिसंबर को, शीर्ष अदालत ने दो याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित याचिकाओं को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी, जिसमें समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के निर्देश दिए गए थे।

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