इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के मुख्य महाप्रबंधक लखनऊ को एक मृतक कर्मचारी के आश्रित को दस लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर आश्रित को तीन माहीने में दस लाख नहीं मिलते हैं तो विभाग से 6 फीसदी ब्याज के साथ यह धन राशि वसूल की जायगी। कोर्ट ने यह आदेश नियुक्ति के एक मामले में देरी करने के चलते दिया।

दरअसल विद्या प्रसाद के पिता BSNL मे लाइनमैन के पद पर कार्यरत थे। 7 फरवरी 2003 को सेवा काल में उनकी मृत्यु हो गयी। आश्रित विद्या प्रसाद ने नियुक्ति की माँग की और अर्जी दाखिल की जिसकी खामियों को दुरुस्त करने के बाद अर्जी निरस्त करने मे BSNL ने दो साल बिता दिये। इसके बाद नये नियम के आधार पर नियुक्ति करने से इंकार कर दिया। BSNL के इस फैसले को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, इलाहाबाद (CAT) में चुनौती दी गई। CAT ने विद्या प्रसाद की आश्रित कोटे में नियुक्ति का निर्देश दिया। इसी आदेश को चुनौती देते हुए BSNL के मुख्य महाप्रबंधक लखनऊ की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई।

हाईकोर्ट में BSNL की तरफ से कहा गया, क्योंकि आश्रित की उम्र पचास साल से ज्यादा हो गई है ऐसे में उसे नियुक्त नहीं किया जा सकता है। इस पर न्यायमूर्ति रणविजय सिंह और न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की खंडपीठ ने कहा कि विभाग ने नियुक्ति पर विचार करने में दो वर्ष की देरी की और फिर नये नियम के आधार पर आवेदन निरस्त कर दिया ।जबकि कर्मचारी की मृत्यु के समय के नियम के तहत विचार करना चाहिए था।

कोर्ट ने कहा कि आश्रित की आयु पचास साल से अधिक हो गयी है ऐसे में उसे खाली हाथ लौट जाने दिया गया तो इस लंबी कानूनी लड़ाई का कोई मतलब नहीं रह जायेगा और न्यायपालिका के प्रति लोगों का विश्वास कम होगा।

हाईकोर्ट ने CAT के आदेश को सही तो माना लेकिन आश्रित की आयु पचास साल से अधिक हो गयी है इसलिए BSNL को आश्रित को दस लाख रूपये का भुगतान करने का आदेश दिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here