महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की जरुरत नहीं है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त एमिकस क्यूरी अमरेंद्र शरण ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। उन्होंने कहा है कि इस मामले में पहले ही पुख्ता जांच हुई है। किसी विदेशी एजेंसी का हाथ होने, दो लोगों के फायरिंग करने और 4 गोली चलने के दावों में कोई दम नहीं है। उन्होंने बताया कि बापू की हत्या करने में नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और के होने के सबूत नहीं मिले हैं। सुप्रीम कोर्ट इसी हफ्ते  इस मामले में सुनवाई कर सकता है।

बता दें कि सु्प्रीम कोर्ट ने इस मामले में पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और सीनियर वकील अमरेन्द्र शरण को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था। उन्होंने जरूरी कागजातों की जांच करने के बाद कोर्ट में जानकारी दी है कि बापू की हत्या करने में उन्हें किसी दूसरी थियूरी होने के सबूत नहीं मिले हैं।

दरअसल पंकज फड़नीस नाम के शख्स ने महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की मांग करते हुए याचिका दायर की है। उनका कहना है कि गांधीजी की हत्या में किसी विदेशी एजेंसी का हाथ हो सकता है इसके अलावा ‘तीन बुलेट की कहानी’ पर प्रश्न चिह्न लगाने के साथ यह सवाल भी उठाया गया है कि क्या नाथूराम गोडसे के अलावा किसी अन्य व्यक्ति ने चौथी गोली भी दागी थी?

महात्मा गांधी की हत्या के मामले में अदालत ने 10 फरवरी, 1949 को नाथूराम गोडसे और आप्टे को मौत की सजा सुनाई थी और विनायक दामोदर सावरकर को सबूतों की कमी के कारण संदेह का लाभ दे दिया गया था. पूर्वी पंजाब हाई कोर्ट द्वारा 21 जून, 1949 को गोडसे और आप्टे की मौत की सजा की पुष्टि के बाद दोनों को 15 नवंबर, 1949 को अंबाला जेल में फांसी दे दी गयी थी।

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