‘The Metamorphosis’ के बहाने मानव अस्तित्व की गहन पहेलियों पर विचार करने को प्रेरित करते हैं फ्रैंज काफ्का

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पिछली सदी के महानतम साहित्यकारों में लेखक फ्रैंज काफ्का की गिनती होती है। काफ्का एक ऐसे लेखक थे जिन्होंने अपनी ही 90 प्रतिशत रचनाओं को आत्म संदेह के चलते जला दिया। काफ्का ने अपनी वसीयत में लिखा था कि बाकी रचनाओं को भी जला दिया जाए। लेकिन उनके दोस्त ने ऐसा न कर उनकी रचनाओं को छपवाया। उनकी रचनाओं में यथार्थवाद की झलक देखने को मिलती है। यथार्थवादी परिदृश्य में वे ऐसी घटनाओं को रचते हैं जो सामान्य जीवन में होती नहीं हैं। काफ्का का नायक अकेले अपनी लड़ाई लड़ता दिखता है। उनकी रचनाओं में अकेलापन, अस्तित्व के लिए संकट, ग्लानि और असंगति देखने को मिलती है। काफ्का के लिखे साहित्य ने एक अमिट छाप छोड़ने का काम किया है।

काफ्का की ही एक प्रसिद्ध रचना है ‘द मेटामोर्फोसिस’ , जो कि लघु उपन्यास है। 1915 में यह पहली बार छपा था। ये एक सेल्समैन ग्रेगोर सैम्सा की कहानी है। ग्रेगर सैम्सा एक सुबह उठता है और पाता है कि वह एक कीड़े में तब्दील हो गया है। ग्रेगोर को पता चलता है कि उसका बॉस उसके घर पर आया हुआ है। बदले हुए ग्रेगोर को देखकर बॉस भाग जाता है। ग्रेगोर का परिवार भयभीत हो जाता है और उसके पिता उसे वापस उसके कमरे में ले जाते हैं।

ग्रेगोर में हुए बदलाव से उसके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। ग्रेगोर का परिवार उसे कमरे में बंद रखता है, और वह अपनी नई पहचान को स्वीकार करना शुरू कर देता है। केवल उसकी बहन ग्रेटे ही उसके लिए भोजन लाने को तैयार है, उन्हें लगता है कि ग्रेगोर केवल सड़ा हुआ भोजन ही पसंद करता है। वह अपना अधिकांश समय फर्श, दीवारों और छत पर रेंगने में बिताता है ।

उसके घरवाले कमरे में सब कुछ खाली करना शुरू कर देते हैं, सिवाय सोफे के, जिसके नीचे जब भी कोई आता है तो ग्रेगोर छिप जाता है। एक दिन दीवार पर लटकी तस्वीर को ग्रेगोर द्वारा बचाते हुए देख ग्रेगोर की मां होश खो बैठती है। इस दौरान ग्रेगोर को थोड़ा चोट लगती है। उनके पिता घर लौटते हैं और गुस्से में ग्रेगोर पर सेब फेंकते हैं, जिनमें से एक उसकी पीठ पर लग जाता है और उसे गंभीर रूप से घायल कर देता है।

समय के साथ ग्रेगोर के पिता, मां और बहन सभी को नौकरी मिल जाती है और वे उसकी उपेक्षा करने लगते हैं, और उसके कमरे का उपयोग स्टोर रूम के रूप में किया जाने लगता है। इसके बाद वे अपार्टमेंट में तीन किरायेदारों को एक कमरा किराए पर देते हैं। एक दिन ग्रेगोर रेंगकर बाहर निकलता है और उस पर किरायेदारों की नजर पड़ती है, जो अपार्टमेंट की गंदगाी को लेकर शिकायत करते हैं। अब ग्रेगोर की बहन को एहसास होता है कि ग्रेगोर का अस्तित्व परिवार के प्रत्येक सदस्य पर कितना बोझ डालता है। वह अपने माता-पिता से कहती है कि उन्हें ग्रेगोर से छुटकारा पाना चाहिए वरना वे सभी बर्बाद हो जाएंगे। इसके बाद ग्रेगोर भूख से मर जाता है।

ये रचना अस्तित्व के संघर्ष के बारे में है। साथ ही बताती है कि कैसे लोगों के जिंदगी में अकेलापन है। ग्रेगोर का नया रूप सामाजिक बदलावों और व्यक्तिगत परिवर्तनों के बारे में है। ऐसे हालात में लोगों के मन में जो अलगाव की भावना पैदा होती है यह उसके बारे में भी है। काफ्का ग्रेगोर के बहाने व्यक्ति के आत्म अन्वेषण या खुद को समझने के प्रयास को दिखाते हैं। काफ्का ग्रेगोर के हालात बदल इंसानियत का असली चेहरा दिखाते हैं कि समाज कितना अमानवीय है। काफ्का बताते हैं कि व्यक्ति के मन का अलगाव और गहरा हो जाता है और समय के साथ उसकी मानवता खत्म हो जाती है। काफ्का संवाद की कमी को सामने रखते हैं।

काफ्का बताते हैं कि असल जीवन कितना गैरबराबरी से भरा है। वे इस रचना में जीवन का अर्थ खोचते हैं और नश्वरता पर चिंतन करते हैं। आज के समय में भी जब हम मानव के अस्तित्व और एकाकीपन पर विचार करते हैं तो यह रचना बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। द मेटामोर्फोसिस के बहाने काफ्का हमें अस्तित्व की गहन पहेलियों पर विचार करने के लिए प्रेरित करते हैं कि हम आत्म-खोज और बौद्धिक चिंतन की यात्रा पर निकलें।

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