सब पढ़े, सब बढ़ें.ये नारा सुनने में कितना अच्छा लगता है…ऐसा लगता है कि बस अब तो देश से अशिक्षा दूर ही भाग जाएगी.सब पढ़ जाएंगे.और सभी आगे बढ़ जाएंगे.लेकिन ये नारा सिर्फ हसीन सपने ही दिखाता है.असल में क्या हो रहा है.ये उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के सरकारी स्कूल के हालात से समझा जा सकता है.

फतेहपुर जिले के बहुआ ब्लॉक के श्यामखेड़ा प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर इन दिनों पूरे इलाके में चर्चा का विषय है.बच्चों को पढ़ाने के दौरान मास्टर साहब की जबान लड़खड़ा जाती है .लेकिन मास्टर जी बिल्कुल होशो हवास में होने के दावे करते हैं.इन पर आरोप है कि ये स्कूल में शराब पीकर ही नहीं आते…बल्कि तलब लगने पर स्कूल को ही मय़खाना बना देते हैं.अब सोचिए जरा जब हेडमास्टर ही स्कूल में टल्ली होकर आएंगे तो बच्चों को कैसी शिक्षा देंगे.इनकी इन्हीं आदतों के चलते लोगों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना तक बंद कर दिया है

बच्चे तो बच्चे.इनकी हरकतों से स्कूल के स्टाफ और शिक्षक भी परेशान हो गए हैं.लेकिन ग्रामीणों का धैर्य तब जवाब दे गया.जब वो नशे में धुत होकर स्कूल की शिक्षा मित्र से ही बदसुलूकी कर बैठे.

ग्रामीणों ने हेडमास्टर साहब की हरकतों की शिकायत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से की.तो सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी जांच करने मौके पर पहुंचे.उन्होंने शिक्षकों और बच्चों के साथ ही ग्रामीणों से भी बातचीत की.और रिपोर्ट तैयार किया.उन्हें भी लगता है कि हेडमास्टर के खिलाफ शिकायतों में दम है

दरअसल, उत्तर प्रदेश में सियासी अस्थिरता से अगर किसी विभाग का सबसे ज्यादा सत्यानाश हुआ है तो वो शिक्षा विभाग ही है.कल्याण सिंह की सरकार ने शिक्षा को बेहतर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए थे.उससे लगा था कि यूपी शिक्षा के क्षेत्र में अव्वल हो जाएगा.लेकिन कल्याण सिंह की सरकार मंदिर आंदोलन की भेंट चढ़ी तो यूपी की शिक्षा व्यवस्था के अच्छे दिन भी लग गए.बाद के दिनों में तो जाति और सियासी समीकरणों को देखकर शिक्षक रखे जाने लगे.नतीजा हमारे सामने है

एपीएन, ब्यूरो रिपोर्ट

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