Bihar Politics: बिहार में ‘महापलट’ का इंतजार! नीतीश ने 2022 में क्यों छोड़ा था NDA का साथ, अब क्यों आ रहे पास? 

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Bihar Politics: बिहार देश के उन राज्यों में शामिल हैं जहां की राजनीति काफी उथल-पुथल भरी रहती है। बिहार की राजनीति में एक बार फिर से हलचल तेज हो रही है और इस हलचल की वजह हैं नीतीश कुमार। नीतीश कुमार का एक बार फिर से एनडीए में लौटने की चर्चाएं हैं। बिहार में अगले कुछ दिन सियासत में बड़े उलटफेर वाले हो सकते हैं। अब तक के संकेत के अनुसार नीतीश कुमार का महागठबंधन छोड़कर NDA में वापसी और फिर CM बनना लगभग तय दिख रहा है। बिहार को लेकर एक बात कही जाती है कि यहां जब तक कोई दल किसी दूसरे के साथ नहीं आए तब तक सरकार बनाना मुश्किल होता है। यही वजह है कि नीतीश के लिए लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए दोनों की तरफ से रास्ते खुले रहते हैं। अब सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर डेढ़ साल पहले 2022 में नीतीश एनडीए से क्यों अलग हुए थे और अब आखिर ऐसा क्या हो गया कि वह फिर से उसके पास जा रहे हैं? 

एनडीए में वापसी?

जेडीयू के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि महागठबंधन (कांग्रेस, आरजेडी, जेडीयू और वाम दलों से मिलकर बना गठबंधन) और विपक्ष के इंडिया गठबंधन के साथ नीतीश नाखुश नजर आ रहे हैं और इसकी मुख्य वजह नीतीश कुमार को वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में असहजता महसूस होना बताया जा रहा है। अब जेडीयू के इन नेताओं को लगता है कि आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के साथ गठबंधन में ऐसे नतीजे नहीं मिलने वाले हैं। साथ ही पूर्व पार्टी प्रमुख राजीव रंजन सिंह को छोड़कर जेडीयू के ज्यादातर सीनियर नेता बीजेपी के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं। नीतीश को लगता है कि अगर उन्होंने अभी एक्शन नहीं लिया तो पार्टी टूट सकती है। नीतीश को लगता है कि अगर उन्हें ज्यादा सीटें जीतनी हैं तो पाला बदलना पड़ेगा। वह इस बात को भलीभांति जानते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर बनने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की वजह से बीजेपी को 2024 में जीत मिल सकती है।

एनडीए से अलग की क्या थी वजह?

दरअसल, 2022 में एनडीए से अलग होने की वजह ये थी कि बिहार में जेडीयू को लगने लगा कि बीजेपी अब ‘बड़े भाई’ की भूमिका में आ रही है और बिहार में बीजेपी के बढ़ रहे प्रभाव से नीतीश कुमार काफी परेशान थे। 2015 में 71 सीटें हासिल करने वाली जेडीयू 2020 विधानसभा चुनाव में 43 सीटों पर आ गई। दूसरी ओर जिस बीजेपी को 2015 में 53 सीटें मिली थीं उसको 2020 में बढ़त मिली और उसने 74 सीटें हासिल की। उससे आगे 75 सीटों के साथ आरजेडी थी। अपने करीबियों के बीच नीतीश ने ये कहना शुरू कर दिया कि जेडीयू की सीटें इसलिए कम आई हैं, क्योंकि बीजेपी ने लगभग उन सभी सीटों पर लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) नेता चिराग पासवान को अपने उम्मीदवार खड़े करने को कहा, जहां जेडीयू चुनाव लड़ रही थी। उनका मानना था कि एलजेपी ने जेडीयू उम्मीदवारों को हराने के लिए बीजेपी के प्रॉक्सी के तौर पर काम किया।

2020 में नीतीश 43 सीटों के बावजूद बिहार के मुख्यमंत्री बन गए। मगर वह डिप्टी सीएम रेणू देवी और तारकिशोर प्रसाद से खुश नहीं थे। बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी नीतीश सरकार में 13 सालों तक डिप्टी सीएम रहें। नीतीश चाहते थे कि उनका तालमेल सुशील मोदी की तरह ही इन दोनों लोगों से रहे और जो संभव नहीं था। जेडीयू को लगता था कि तत्कालीन पार्टी नेता आरसीपीसी सिंह के साथ मिलकर बीजेपी उसे तोड़ने का भी काम कर रही है।

कब-कब मुख्यमंत्री रह चुके हैं नीतीश?

मार्च 2000 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री चुने गये। सरकार 7 दिनों तक चली और नीतीश ने सदन में बहुमत साबित करने में विफल रहे और इस्तीफा दे दिया।
2005 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अपना कार्यकाल सफलता से पूरा किया।
2010 में नितीश कुमार ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके चार साल बाद लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए 17 मई 2014 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
साल 2015 में जीतन राम मांझी के साथ नितीश कुमार का कलह शुरू हो गया। जीतन राम मांझी के फैसले से नाराज होकर 2015 में नीतीश कुमार ने एक बार फिर से कमान संभाली और चौथी बार मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।
2015 के बिहार विधान सभा चुनाव के बाद 22 फरवरी 2015 को नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने। इस बार जद (यू), राजद और कांग्रेस वाले महागठबंधन ने चुनाव जीता। तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री बनाए गए और तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद नीतीश कुमार ने दो साल बाद 26 जुलाई, 2017 इस्तीफा दे दिया।
इस्तीफा देने के के बाद नीतीश कुमार ने पाला बदला और एनडीए में शामिल हो गए। कुछ ही घंटों में सत्ता में वापस आ गए और मुख्यमंत्री की गद्दी संभाल ली। सुशील मोदी को बिहार का उप मुख्यमंत्री बनाया गया।
नीतीश कुमार ने 2020 में सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इस बार नीतीश का गठबंधन एनडीए के साथ थी। दो साल बाद ही 9 अगस्त, 2022 एनडीए गठबंधन छोड़ महागठबंधन में शामिल हो गए।
10 अगस्त 2022 को महागठबंधन के नेता के तौर पर आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अब यह अटकलें आ रही है कि 28 जनवरी को नीतीश कुमार एक बार फिर से महागठबंधन छोड़ कर एनडीए में वापसी करेंगे। अगर ऐसा होता है तो नीतीश कुमार नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे।

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