Joshimath Sinking: जोशीमठ में मकान के दीवारों और ज़मीन में दरारें पड़ने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। इस हाड़ कंपाती ठंड में पहाड़ी इलाकों में इस तरह आपदा को झेल पाना इतना आसान नहीं है। लोग बेहाल, परेशान और दहशत में हैं। केंद्र सरकार हालात का जायजा लेने के लिए मौके पर टीम भेज चुकी है। लेकिन सवाल ये है कि इस आपदा से निबटने के लिए सरकार ने अभी तक क्या-क्या किया है? डूबते जोशीमठ को बचाने के लिए सरकार की ओर से तत्काल क्या कुछ किया गया है? तो आइये यहां जानते हैं कि धंसते जोशीमठ को बचाने में किस कदर सरकार जुटी हुई है:
Joshimath Sinking: एक्शन मोड में सरकार
जोशीमठ (Sinking Joshimath) को आपदा से बचाने के लिए केंद्र के साथ-साथ धामी सरकार एक्शन मोड में आ गई है। शहर को 2 जोन में विभाजित किया गया है। पहला संवेदनशील और दूसरा बफर जोन। संवेदनशील इलाकों से लोगों को चिन्हित कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
दरारें वाली घरों की संख्या 826
रविवार शाम राज्य सरकार द्वारा जारी एक बुलेटिन के अनुसार, जिन घरों में दरारें आई हैं, उनकी संख्या बढ़कर 826 हो गई है, जिनमें से 165 असुरक्षित घोषित किए गए हैं। रविवार को 17 परिवारों सहित अब तक 233 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। कुल मिलाकर 798 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
राहत शिविरों में राशन का इंतजाम
जोशीमठ के कार्यकारी अधिकारी भरत भूषण पंवार ने कहा, “तीन मंजिला नगरपालिका बोर्ड भवन में ताजा दरारें आने के कारण, हमने नगरपालिका भवन में काम करने वाले कर्मचारियों को एहतियात के तौर पर सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने की कवायद शुरू कर दी है।” राहत सामग्री के प्रबंधन के नोडल अधिकारी नंदन कुमार ने कहा कि राहत सामग्री को स्थानांतरित कर दिया जाएगा और विभिन्न राहत शिविरों में तेजी से वितरित किया जाएगा। बता दें कि आस-पास के इलाके में पहाड़ तोड़ने का काम भी बंद कर दिया गया है।
बता दें कि जोशीमठ में कई परिवार दहशत में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले दो से तीन दिनों से पुरानी दरारें खतरनाक रूप से चौड़ी हो रही हैं।” ”कोई भी आसानी से दरारों में अपनी उंगली डाल सकता है जो पहले संभव नहीं था।”
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