देश में रोजाना सड़क हादसे होते हैं और इन हादसों में सबसे ज्यादा पैदल चलने वाले आम आदमी की मौत होती है। तेज रफ्तार गाड़ी पैदल चलने वाले यात्रियों को कुचले हुए निकल जाती है। भारत सरकार ने इस संबंध में कुछ आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों के अनुसार देश में हर रोज करीब 56 पैदल यात्रियों की जान सड़क हादसों में चली जाती है। सरकारी डाटा के अनुसार 2014 में 12,330 लोग तो 2017 में 20,457 पैदल चलने वाले लोगों की सड़क पर मौत हो चुकी है। यानी इस आंकड़े में 66 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल रोजाना 56 पैदल यात्रिय़ों की सड़क पर मौत हुई है।

भारत में सड़क पर पैदल चलने वाले लोग सबसे ज्यादा असुरक्षित होते हैं क्योंकि उनके पास दुर्घटना होने पर कोई सुरक्षा नहीं होती है। साइकिल और बाइक सवार भी इसी श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। आधिकारिक डाटा के अनुसार 2017 में 133 दुपहिया चालक और लगभग 10 साइकिल सवार रोजाना सड़क दुर्घटना में मारे गए हैं। पिछले साल तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 3,507 पैदल यात्रियों की मौत हुई है। वहीं महाराष्ट्र में 1831 और आंध्र प्रदेश में 1,379 पैदल यात्रियों की मौत हुई है। इसी तरह दुपहिया वाहन चालकों की होने वाली मौत की बात करें तो इस सूची में तमिलनाडु का नाम 6,329 मौतों के साथ सबसे ऊपर है।

वहीं उत्तर प्रदेश में यह संख्या 5,699 और महाराष्ट्र में 4,659 है। हाल ही में परिवहन सचिव वाइएस मलिक ने कहा था कि दूसरों देशों की तुलना में भारत में बाइक सवारों को हेय दृष्टि से देखा जाता है। पैदल यात्रियों के लिए बनाए गए फुटपाथ पर अकसर दुकान वाले या फिर लोग अपनी गाड़ियां खड़ी करके कब्जा कर लेते हैं, जिसकी वजह से पैदल यात्रियों को सड़क पर चलना पड़ता है।

बता दें, की अंतरराष्ट्रीय सड़क फाउंडेशन के केके कपिल का कहना है, ‘दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में असुरक्षित सड़कों की वजह से लोगों के मरने का स्वरूप एक जैसा है। ऐसे में यह जरूरी है कि इसका कोई समाधान निकाला जाए, जिससे कि पैदल चलने वाले, साइकिल सवार और बाइक चालक भी सड़क पर सुरक्षित और बिना किसी डर के चल सकें। जरूरत है कि पैदल चलने वालों को अन्य लोगों से अलग रखा जाए।’ सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने दुपहिया वाहनों के सभी मॉडलों में अप्रैल 2019 से एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम लगाने को जरूरी कर दिया है

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