प्रदेश में पर्यटकों की संख्या को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार अब आपका गोत्र बतायेगी। उत्तराखंड सरकार ने यात्रियों के लिए ‘गोत्र पर्यटन’ शुरू करने की योजना बनाई है।

सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस योजना की घोषणा करते हुए कहा था कि पर्यटकों को अपने पूर्वजों और अपने गोत्र के विषय जानकारी उपलब्ध हो, इसके लिए सरकार ये प्रयास कर रही है।

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वकर्मा, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज नामक सप्तऋषियों से ही सृष्टि की रचना हुई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि हिमालय में इन सप्तऋषियों से संबंधित स्थलों को पर्यटन विभाग विकसित करेगा।

इसके अलावा प्रत्येक गोत्र के लिए विशेष प्रतीक चिह्न डिवेलप किए जाएंगे, जिससे कि लोग अपने गोत्र को ठीक प्रकार से समझ सकें। राज्य के पर्यटन विभाग को डिजिटल बनाने के लिए भी एक अभियान चलाएगा। ये रिकॉर्ड तीर्थ पुरोहित रखते हैं।

इनमें से कुछ तीर्थ पुरोहित चार धाम- केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में रहते हैं, वहीं लगभग 2500 तीर्थ पुरोहित हरिद्वार में रहते हैं। इन तीर्थ पुरोहितों के पास पिछले कई सौ सालों का लाखों परिवारों का रिकॉर्ड है।

पर्यटन विभाग के सेक्रटरी दिलीप जवालकर ने कहा, ‘हम लोगों की पीढ़ियों का रिकॉर्ड ऑनलाइन रखना चाहते हैं, जिससे कि लोग अपने परिवार के इतिहास के बारे में जान सकें।’ उन्होंने कहा कि ऐसा करने से लोगों में उत्तराखंड आने के लिए उत्सुकता आएगी।

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