उत्तराखंड में नदियों के किनारे भूमि आवंटन पर हाई कोर्ट की रोक के बाद त्रिवेंद्र सरकार में खलबली मची है। त्रिवेंद्र सरकार हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। माना जा रहा है कि इसके पीछे नगर निकाय चुनाव तो दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव सरकार के सिर पर होना है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट के आदेश पर स्थगन नहीं मिलने के बाद सरकारी मशीनरी को नदियों किनारे भूमि आवंटन की जांच रिपोर्ट तैयार कर हाईकोर्ट में पेश करना होगा। ऐसे में पौड़ी, कोटद्वार, देहरादून, ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले में मौजूद सरकारी, गैर सरकारी भवनों और पट्टाधारको पर कार्रवाई होना सुनिचित है। जिसका खामियाजा सरकार को चुनाव के दौरान भुगतना पड़  सकता है।

प्राकृतिक आपदा के पीछे सफेदपोशों का बड़ा हाथ !

देवभूमि उत्तराखंड हमेशा प्राकृतिक आपदाओं का शिकार होता आया है। मानसून सीजन में पहाड़ से लेकर मैदान तक के भू-भाग बदतर हालत में पहुंच जाते हैं। इन सबों के पीछे अवैध खनन के साथ ही नदियों के अस्तित्व से दिनोंदिन हो रहे खिलवाड़ बड़ी वजहें हैं। नदी की कोख में मजबूत पिलरों के सहारे निर्माण कार्य कर उसे मिटाने की कोशिशें जारी हैं। ये तस्वीरें कोटद्वार की हैं। इससे हाईकोर्ट ने प्रदेश में नदियों के किनारे भूमि आवंटित करने पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने प्रदेश में नदियों के किनारे भूमि आवंटित करने पर रोक लगा दी है। पूर्व के ऐसे सभी भूमि आवंटन के मामलों की जांच कर तीन माह में रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में पेश करने और अतिक्रमणकारियों की पहचान कर छह सप्ताह में बेदखली की कार्रवाई के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार यह भी सुनिश्चित करे कि भविष्य में नदियों के किनारे की भूमि का आवंटन न हो। .इस आदेश का प्रभाव पौड़ी, कोटद्वार, देहरादून, ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले में अधिक देखने को मिल सकता है।

हाईकोर्ट के आदेश से भवन स्वामियों मे हड़कंप

उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद निजी भवन स्वामियों मे हड़कंप मचा है। पर्वतीय क्षेत्रों में भी इस तरह के कई मामले हैं। उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश भूमि अधिनियम की धारा 132-ए में स्पष्ट है कि नदी श्रेणी की भूमि पर किसी  प्रकार निर्माण नहीं हो सकता। ऐसे में आरोप सरकार में बैठे सफेदपोश लोगों पर हैं जो अपनी राजनीत चमंकाने के लिए नदी की जमीन पर अवैध निर्माण करवाते रहे है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद कोटद्वार में मंडी समिति को आवंटित जमीन, लछमपुर में मेडिकल कॉलेज को आवंटित भूमि और अन्य निर्माण पर गाज गिरनी तय है क्योंकि ये नदी श्रेणी की भूमि है।

कोट्द्वार प्रशासन को शासन से पत्र का इंतजार

उत्तराखंड हाई कोर्ट के ताजा आदेश के बाद कोट्द्वार प्रशासन को शासन से पत्र का इंतजार है। इसके बाद जांच कर जमीनी रिपोर्ट शासन को भेजा जायेगा। एडीएम ने भविष्य में न्यायालय के आदेश का पूरी तरह पालन करने का दावा किया।

पौड़ी, कोटद्वार, देहरादून, ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार में जमकर कब्जा

हाई कोर्ट के इस आदेश से सूबे में नदियों के किनारे खेती के नाम पर आवंटित की गई कई अनियमितताएं भी खुलकर सामने आनी तय हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में भी इस तरह के मामले हैं। यह वो जमीन है, जो सामान्य रूप से नदी के बाढ़ क्षेत्र की है और नदी किनारे सिंघाड़ा, तरबूज आदि उगाने, चरागाह और पोखर आदि के उपयोग में लाई जाती है। कोर्ट के इस आदेश का ज्यादा प्रभाव कोटद्वार, देहरादून, ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले में देखने को मिलना तय माना जा रहा है। क्योंकि उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश भूमि अधिनियम की धारा 132-ए को ताक पर रखने के मामले इन जिलों में सबसे अधिक सामने आने की उम्मीद है।

मयंक सिंह एपीएन

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