उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में लोग आज भी स्वास्थ्य चिकित्सा के लिए शहरों की ओर रुख कर रहें है। पहाड़ी इलाकों की वजह से वहां डॉक्टर जाना पसंद नहीं करते, जिसकी वजह से वहां डॉक्टरों की कमी है। पर्वतीय इलाकों में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए और वहां स्वास्थ्य चिकित्सा पहुंचाने के लिए पर्वतीय इलाकों में अब काफी हद तक डॉक्टरों की कमी दूर कर दी जाएगी। उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को प्रदेश में 421 नए डॉक्टरों की नियुक्ति देने का एलान किया है। डॉक्टरों को यह तैनाती चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड की संस्तुति के बाद दी गई है। अधिकांश डॉक्टरों की तैनाती पर्वतीय जनपदों के अस्पतालों में की गई है।

मंगलवार को स्वास्थ्य सचिव नितेश झा की ओर से डॉक्टरों की तैनाती के आदेश जारी कर दिए गए। डॉक्टरों को दो सप्ताह के भीतर तैनाती स्थल पर ज्वाइनिंग देने का निर्देश दिया गया है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में लंबे अर्से से डॉक्टरों की कमी है।

सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के लगभग एक हजार पद खाली पड़े हुए हैं। पर्वतीय जनपदों में स्थिति और खराब है। पर्वतीय जनपदों के  कई सरकारी अस्पतालों में निर्धारित संख्या के मुताबिक बहुत कम डॉक्टर तैनात हैं। इसको देखते हुए प्रदेश सरकार ने नए डॉक्टरों को तैनाती देने की योजना बनाई थी।

इस आधार पर मंगलवार को 421 डॉक्टरों की तैनाती के आदेश जारी कर दिए गए। स्वास्थ्य सचिव नितेश झा के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में 421 डॉक्टरों की तैनाती से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आएगा। खासकर पर्वतीय जनपदों के लोगों को इलाज के लिए देहरादून और हल्द्वानी की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा शासन ने बैकअप के रूप में चिकित्सा चयन बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने वाले 25 प्रतिशत अभ्यर्थियों को वेटिंग में भी रखा गया है। जारी सूची में से यदि कोई चिकित्सक तैनाती नहीं लेंगे तो फिर वेटिंग लिस्ट में शामिल चिकित्सकों को इनके स्थान पर तैनाती दी जाएगी। सभी चिकित्सक संबंधित जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को तैनाती के लिए रिपोर्ट करेंगे।

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