यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीय रोजगार गारंटी योजना मोदी सरकार को खूब भा रही है। वित्त वर्ष 2018-19 में 55 हजार करोड़ रुपए का बजट आवंटन करने का बाद अब मोदी सरकार मनरेगा के मजदूरों को एक और तोहफा देने जा रही है। खबर है कि मोदी सरकार 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले मनरेगा की मजदूरी में बढ़ोतरी कर सकती है। सरकार मनरेगा मजदूरी में संशोधन पर विचार कर रही है और ये संशोधन अगले साल लोकसभा चुनावों से पहले हो सकता है।

मनरेगा की मजदूरी में वृद्धि के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई है। ये कमेटी ही तय करेगी कि मजदूरी में कितनी वृद्धि की जाए। इस उच्चस्तरीय कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का जिम्मा केंद्र सरकार के पास रहेगा। यूपीए-1 सरकार के कार्यकाल में 2006 में लागू की गई मनरेगा योजना में अब तक दो बार बढ़ोतरी की जा चुकी है। ये बढ़ोतरी 2009 में की गई थी। लेकिन तब समस्या ये आई थी कि कई राज्यों ने मनमाने ढंग से न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी की थी।

फिलहाल अप्रैल 2018 से बिहार में न्यूनतम मजदूरी 237, झारखंड में 210 और हरियाणा में 281 रुपए है। ग्रामीण विकास मंत्रालय की ये योजना राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत हर एक ग्रामीण परिवार को साल के 365 दिनों में से कम से कम 100 दिनों तक रोजगार देने का वादा करती है। ऐसे में अगर सरकार मजदूरी में बढोतरी करती है। तो मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को राहत मिल सकती है।

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