पांच साल पहले जब केदारघाटी में तबाही आई थी तब ऐसा लगता था कि केदारघाटी को दोबारा आबाद करना नामुकिन नहीं तो मुश्किल जरूर है। पांच साल बाद केदारघाटी की जो तस्वीर सामने आई है वो हैरान कर देने वाली है। अत्याधुनिक स्थापत्य कला केदारघाटी की सूरत ही बदल दी है। प्राकृति आपदा के बाद वीरान हुई केदारघाटी अब पूरी तरह से आबाद होती नजर आने लगी है और इसका बहुत हद श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। जिनका भगवान भोले और इस घाटी से गहरा और पुराना नाता रहा है। चारों तरफ बर्फ से ढकी पहाड़ियां, दोनों तरफ कलकल बहती नदियां और बीच में लगभग साढ़े तीन किलोमीटर लंबा कंक्रीट से बना चार मीटर चौड़ा रास्ता।
जून 2013 में प्राकृतिक आपदा में पूरी तरह तबाह हो गई थी। वर्षों पुराने भगवान शिव का मंदिर ही सुरक्षित बचा रह सका था। अप्रत्याशित ढंग से एक बड़े शिलाखंड ने केदारनाथ मंदिर की जल प्रलय से रक्षा की थी। उस शिलाखंड को ज्यों का त्यों वैसे ही छोड़ दिया गया है। केदारघाटी को दोबारा बसाने। उसे खूबसूरत बनाने का सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देखा था। पीएम पद संभालते ही उन्होंने केदारघाटी के विकास का खाका तैयार किया और फिर अधिकारियों को उस खाके को अमल में लाने के काम में लगा दिया। आज नतीजा सबके सामने है।
केदारनाथ मंदिर से लगभग साढ़े तीन किलोमीटर दूर गरुणचट्टी आपदा में पूरी तरह तबाह हो गई थी। गरुणचट्टी का नामो निशान मिट गया था अब वहां हेलीपैड बनकर तैयार है। हेलीपैड से सीधा रास्ता केदारनाथ मंदिर को जा रहा है। लगभग चार मीटर चौड़े इस रास्ते के दो किलोमीटर तक का काम पूरा कर लिया गया है। रास्ते दोनों तरफ लाइट की समुचित व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं के ठहरने, प्रशासनिक कार्यों को अंजाम देने के लिए दोनों तरफ दफ्तर। होटल और धर्मशालाओं का निर्माण किया गया है। कुटियां भी बनाई गई है और इसके दोनों तरफ नदियां बह रही हैं। सितंबर तक विकास कार्य पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है।
गरुणचट्टी से आगे का रास्ता भी तेजी से बनाया जा रहा है। रामबन तक के रास्ते को चौड़ा किया जा रहा है। कटिंग का काम भी कर लिया गया है। गरुणचट्टी के पास वो कुटिया भी है जहां प्रधानमंत्री मोदी बहुत पहले यहां आकर ठहरे थे और योग ध्यान करते थे। कुटिया को भी नया रूप दे दिया गया है। अब तक प्रधानमंत्री मोदी कई बार यहां आ चुके हैं। उम्मीद की जा रही है कि सितंबर तक विकास कार्य पूरा हो जाएगा तो नवंबर में केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के मौके पर एक बार फिर प्रधानमंत्री बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने आ सकते हैं।
गरुणचट्टी से मंदिर तक के रास्ते को इस ढंग से बनाया गया है ताकि हेलीपैड से मंदिर तक एटीबी गाड़ी से आराम से पहुंचा जा सके। इससे वीवीआईपी के साथ ही बुजुर्ग और शरीर से लाचार श्रद्धालुओं को भी मंदिर तक पहुंचने में आसानी होगी।