पंजाब और गोवा में हुए मतदान के बाद चुनाव आयोग ने बताया कि पंजाब में 75 प्रतिशत और गोवा में 83 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। पंजाब में मतदान पर्ची देने वाली इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में कुछ तकनीकी गड़बड़ी और हिंसा की छिटपुट घटनाओं को छोड़कर मतदान कुल मिलाकर शांतिपूर्ण सम्पन्न हुआ। इसके साथ ही कई दिग्गजों की किस्मत भी ईवीएम में कैद हो गई है।

117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा में दो मुख्य पार्टियों बीजेपी-अकाली और कांग्रेस के अलावा दिल्ली में शानदार जीत दर्ज करने वाली आम आदमी पार्टी भी ताल ठोक रही थी। आप के संयोजक अरविन्द केजरीवाल सहित आप के नेता पंजाब जीतने का दावा भी करते नज़र आ रहे थे। अब मतदान के बाद 11 मार्च को आने वाले नतीजे ही पंजाब की सत्ता के साथ पार्टियों के दावों की हकीकत और राजनीतिक विरासत की सच्चाई बताएँगे।

गोवा विधानसभा के लिए भी चुनाव संपन्न हो गए हैं। इन चुनावों में 40 सीटों पर हुए मतदान मतदान के लिए 1642 केंद्र बनाए गए थे। गोवा में कांग्रेस ने 37 सीटों पर, सत्तारुढ़ बीजेपी ने 36 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इसके अलावा राज्य में पहली बार किस्मत आजमा रही आम आदमी पार्टी ने 39 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को चुनावी दंगल में उतारा था। आम आदमी पार्टी ने अपने अंदरुनी सर्वे में 24 सीटें जीतने का दावा कर रही थी।

दिलचस्प बात यह है कि अभी तक गोवा और पंजाब दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। भाजपा जहाँ पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के साथ सत्ता में लगातार दस सालों से थी। वहीँ गोवा में भाजपा का साथ महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी दे रही थी। पंजाब में बीजेपी के गठबंधन में कोई बदलाव नहीं हुआ लेकिन गोवा में भाजपा का महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी से गठबंधन चुनावों से पहले ही टूट चुका है।

पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन के खिलाफ नशे के कारोबार की वजह से उठी लहर जहाँ पहली बार चुनाव लड़ रही आप के पक्ष में जाती दिखाई पड़ रही है। वहीँ कांग्रेस भी इस लड़ाई में होने का दंभ भर रही है। दूसरी तरफ गोवा के चुनावों में आप के अलावा बीजेपी और शिवसेना के साथ महाराष्ट्रवादी गोमान्तक पार्टी भी नए राजनीतिक समीकरण रचने को तैयार नज़र आ रहे हैं। बहरहाल इन दावों और वादों का अंजाम 11 मार्च को पता चलना है।

पंजाब और गोवा में विधानसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश  में सात चरण, उत्तराखंड में एक चरण  और मणिपुर में दो चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन तीन राज्यों में चुनाव इस महीने से शुरू होकर मार्च तक समाप्त होंगे। सभी राज्यों के नतीजे 11 मार्च को आयेंगे। नोटबंदी के बाद इन चुनावों को केंद्र की बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की सबसे बड़ी परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है।

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