करीब 15 पोषक तत्वों से भरपूर भविष्य का सुपर ग्रेन माने जाने वाला क्विनवा न केवल कुपोषण की समस्या को दूर करने में सक्षम है बल्कि  दुधारु पशुओं और पोल्ट्री उद्योग के लिए भी लाभदायक है। अमेरिकी एजेंसी नासा ने तो इसका चुनाव लाइफ स्पोर्ट सिस्टम के लिए भी किया है।

बथुआ परिवार की यह फसल सूखा सहन करने की अद्भुत क्षमता रखती है। इसकी खेती अनुपजाऊ,बंजर, पथरीली और ऊसर जमीन में की जा सकती है।  चारा के रुप में इसका प्रयोग करने से पशुओं को प्रोटीन और विटामिन मिलता है जबकि इसके बीज और पत्तियों में त्वचा और श्वास रोग प्रतिरोधक क्षमता है। समृद्ध लोगों के भोजन की पहली पसंद माने जाने वाले क्विनवा का भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य 150 रुपये से 1500 रुपये प्रति किलो तक है।

जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में होने वाली वृद्धि तथा जल स्तर में कमी के मद्देनजर अमेरिका, यूरोप, चीन, जापान तथा कई अन्य देशों में इसकी खेती तेजी से बढ़ रही है। अपने देश में इसकी खेती प्रयोग के स्तर पर है।

क्विनवा में 60 से 74 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट,  12.5 से 16.7 प्रतिशत प्रोटीन, 5.5 से 8.5 प्रतिशत वसा, 1.9 से 10.5 प्रतिशत रेशा, 874 से 1487 मिलीग्राम कैल्शियम, 1400 से 5300 मिलीग्राम फास्फोरस, 260 से 5050 मिलीग्राम मैग्नेशियम, 14 से 168 मिलीग्राम लोहा, 28 से 48 मिलीग्राम जिंक, अच्छी मात्रा में पोटाशियम, विटामिन सी, विटामिन ई , विटामिन बी 1, बी 2 और बी 6 भी पाया जाता है।

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