सोशल मीडिया पर केंद्र की निगरानी का मुद्दा गरमाता नजर आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया की निगरानी के केन्द्र सरकार के फ़ैसले को चुनौती देने वाली तृणमूल कांग्रेस विधायक महुआ मोइत्रा की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को इस मामले में मदद करने को कहा है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के ऑनलाइन डाटा की मॉनिटरिंग के लिए ‘सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब’ के गठन के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह एक सर्विलेंस स्टेट बनाने जैसी स्थिति है। क्‍या सरकार लोगों के व्हाट्स ऐप मैसेज पर नजर रखना चाहती है? मुख्य न्यायधीश जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड की पीठ ने केंद्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।

महुआ मोइत्रा ने याचिका में कहा है कि सोशल मीडिया की निगरानी के लिए केंद्र यह कदम उठा रहा है। इसके बाद ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम व ईमेल में मौजूद हर डाटा तक केंद्र की पहुंच हो जाएगी। केंद्र सरकार का यह कदम निजता के अधिकार का सरासर उल्लंघन है। उन्‍होंने कहा कि इससे हर व्यक्ति की निजी जानकारी को भी सरकार खंगाल सकेगी। इसमें जिला स्तर तक सरकार डेटा को खंगाल सकेगी, इसे रोका जाना चाहिए।

हाल ही में केंद्रीय मंत्रालय के तहत काम करने वाले पीएसयू ब्रॉडकास्ट कंसल्टेंट इंडिया लि. ने एक टेंडर जारी किया है। इसमें एक सॉफ्टवेयर की आपूर्ति के लिए निविदाएं मांगी गई हैं। सरकार इसके तहत सोशल मीडिया के माध्यम से सूचनाओं को एकत्र करेगी और देखेगी कि सरकारी योजनाओं पर लोगों का क्या रुख है। इस पर सरकार का तर्क है कि इससे उसे असली फीडबैक मिलेगा और फिर वह योजनाओं में तब्दीली करके उन्हें और ज्यादा जन उपयोगी बनाने का काम कर सकेगी।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया गया कि सरकार ने जो निविदांए मंगवाई हैं वो 20 अगस्त को खोली जाएंगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 20 अगस्त को इन्हें खोलने से पहले 3 अगस्त को मामले पर सुनवाई करेगा।

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