दिल्ली एनसीआर में स्कूल खुल गए हैं। नोएडा और गाजियाबाद के अधिकतर स्कूल खुल गए हैं। पर छात्रों की संख्या में भारी कमी है। कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने में कतरा रहे हैं इसलिए बच्चों को स्कूल भेजना है या नहीं इस बात का फैसला अभिभावक कर सकते हैं। माता-पिता के लिखित प्रमाण पत्र के बाद ही छात्रों को स्कूल में प्रवेश मिलेगा। 9वीं से 12वीं के छात्रों को ऑफलाइन पढ़ाने की इजाजत मिल गई है। क्लास में 50 फीसदी छात्रा को जगह दी जाएगी।

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अनुमति लेने के लिए स्कूल के तरफ से अभिभावकों से संपर्क किया जा रहा है। सीबीएसी बोर्ड के मुकाबले यूपी बोर्ड के बच्चे अधिक मौजुद हैं। साथ ही इनके माता-पिता भी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए राजी हैं। यूपी बोर्ड के 70 फीसदी अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए हामी भरी है।

दिल्ली पब्लिक, जेपी इंटरनेशनल सहित कुछ अन्य स्कूल सोमवार से नहीं खुलेंगे। स्कूल अभी ऑनलाइन पढ़ाई ही कराएंगे। जिला विद्यालय निरीक्षक नीरज पांडे के द्वारा टीम का गठन किया गया है। उनके नेतृत्व में टीम के सदस्य स्कूलों में पहुंचकर व्यवस्था को देखेंगे। नियम के तहत स्कूल बस में भी पचास फीसद छात्र ही बैठेंगे। कम छात्रों के कारण बस का खर्च निकलना मुश्किल होगा। ऐसे में ज्यादातर स्कूल प्रबंधन छात्रों को बस की सुविधा उपलब्ध नहीं कराएंगे।

स्कूल कैंपस में जगह-जगह गोला बनाया गया है ताकि बच्चे एक दूसरे से शारीरिक दूरी बना कर रखें। साथ ही कक्षा को दो बैच में चलाया जाएगा। बच्चों को हाथ मिलाने की अनुमति नहीं होगी। लंच बॉक्स शेयर करने पर पाबंदी है।

ये हैं नियम 

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  • कक्षा में 50 फीसदी छात्रों की होगी उपस्थिति
  • बिना मास्क नहीं मिलेगा प्रवेश
  • अध्यापक व स्टाफ को मास्क लगाना होगा अनिवार्य
  • बिना अभिभावक की अनुमति छात्र को नहीं मिलेगा प्रवेश
  • नियमित अंतराल पर कक्षा को कराना होगा सैनिटाइज
  • आनलाइन पढ़ाई भी रहेगी जारी
  • स्कूल में यदि दो गेट हैं तो दोनों से होगा प्रवेश थर्मल स्क्रीनिंग से जांच के बाद ही मिलेगा प्रवेश
  • छात्र को बुखार या जुकाम होने पर उपचार के बाद ही भेजा जाएगा
  • स्कूल वाहन को भी करना होगा सैनिटाइज

बता दें कि कई स्कूलों ने फैसला किया है कि वे बच्चों को बस नहीं मुहैया कराएंगे क्योंकि बच्चों की कमी के कारण बस का खर्च नहीं निकल पाएगा।

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