भारत का प्रमुख त्यौहार दिवाली अब ज्यादा दूर नहीं है। दिवाली में पटाखों से होने वाले प्रदूषण से हर वर्ष पूरा दिल्ली परेशान रहता है और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में आए दिन जनहित याचिकाएं दायर की जा रही हैं। ऐसे ही एक जनहित याचिका पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘‘दिल्ली के पास तो भारतीय सेना से भी ज्यादा विस्फोटक सामग्री है।’’
दिल्ली एनसीआर में 50 लाख किलोग्राम से अधिक पटाखों के भण्डारण के खबर से हैरान होकर जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि दीवाली पांच दिन मनाई जाती है लेकिन इन पांच दिनों में रोजाना 10 लाख किलोग्राम पटाखों का उपयोग होता है।
पटाखों के घरेलू निर्माताओं के वकील ने आरोप लगाया कि इन विदेशी पटाखों की ‘‘गुणवत्ता को नियंत्रित’’ करने की सरकार के पास कोई व्यवस्था नहीं है। इस पर जब पीठ ने अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पिंकी आनन्द से सवाल किया कि चीन में निर्मित पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं तो पिंकी आनन्द ने कहा कि वह इस मसले पर सरकार से आवश्यक निर्देश प्राप्त करके न्यायालय को सूचित करेंगे।
इस मामले पर दिल्ली पुलिस ने न्यायालय को बताया कि 2016 में उसने पटाखों की बिक्री के लिए 1068 आवेदनों में से सिर्फ 968 को ही लाइसेंस प्रदान किए थे। ये लइसेंस दशहरा और दीवाली पर्व के दौरान सिर्फ 24 दिन के लिये ही दिए गए थे। दूसरी तरफ पटाखा निर्माताओं के वकील ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 435 और सिर्फ दिल्ली में 175 स्थाई लाइसेंस हैं।
आपको बता दें कि बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए पिछले साल नवंबर में शीर्ष अदालत ने सरकार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखों की थोक और फुटकर बिक्री के लिए सभी लाइसेंस अगले आदेश तक के लिए निलंबित करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने यह भी कहा था कि अगले आदेश तक ऐसे लाइसेंस न तो दिए जाएं और न ही उनका नवीनीकरण किया जाए।