आम आदमी पार्टी (आप) की विधायक अलका लांबा ने शनिवार को कहा कि वह उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के विधानसभा में 1984 के दंगों के बारे में प्रस्ताव का समर्थन न करने पर आम आदमी पार्टी (आप) की विधायक अलका लांबा को सदन की सदस्यता से इस्तीफा देने संबंधी रिपोर्टों के खंडन के बाद वह अपने पद से इस्तीफा नहीं दे रही हैं।
सुश्री लांबा ने श्री सिसोदिया के स्पष्टीकरण के बाद यहां कहा,“ मैं इस्तीफा नहीं दे रही हूं।” श्री सिसोदिया ने शनिवार को इन रिपोर्टों का खंडन किया कि दिल्ली विधानसभा ने 1984 के सिख विरोधी दंगों को रोकने में विफल रहने के लिए दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने की मांग का प्रस्ताव पारित किया है।

सिसोदिया ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में इन रिपोर्टों का भी खंडन किया कि विधानसभा में प्रस्ताव का समर्थन न करने पर आप की विधायक अल्का लांबा को सदन की सदस्यता से इस्तीफा देने को कहा गया है। उप मुख्यमंत्री ने कहा, “ विधानसभा में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम का उल्लेख करते हुए कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया। किसी को भी इस्तीफा देने को नहीं कहा गया है। हम शांतिपूर्ण तरीके से कार्य कर रहे हैं। ” मीडिया में आज ऐसी रिपोर्ट आई हैं कि विधानसभा में शुक्रवार को श्री राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया। विधायक लांबा ने भी कहा था कि प्रस्ताव का समर्थन नहीं करने पर उनसे इस्तीफा देने के लिए कहा गया।

आप नेताओं ने हालांकि बाद में स्पष्ट किया कि विधानसभा में इस प्रकार का कोई प्रस्ताव नहीं पेश किया गया था। दरअसल यह प्रस्ताव 1984 के सिख दंगे से प्रभावित लोगों को न्याय दिलाने तथा उस दंगे को ‘जनसंहार’ घोषित करने को लेकर था। सिसोदिया ने भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस नेताओं के इस मसले पर वक्तव्यों की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि 1984 और 2002 के दंगों के लिये जिम्मेदार लोगों को ऐसे वक्तव्य नहीं देने चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी का पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संबंध में न तो ऐसा कोई विचार या इरादा नहीं है।

सिसोदिया ने कहा कि आप के विधायक जरनैल सिंह ने सदन में जो मूल प्रस्ताव पेश किया था उसमें श्री राजीव गांधी का कोई उल्लेख नहीं था। इस संंबंध में और स्पष्टीकरण देते हुए पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि श्री राजीव गांधी के नाम के उल्लेख वाले पैरा काे प्रस्ताव का हिस्सा नहीं माना जा सकता, क्योंकि यह बाद में हाथ से लिखा गया है। एक विधायक ने अपने हाथ से प्रस्ताव में एक संशोधन लिख दिया और किसी भी संशोधन को इस तरह पारित नहीं किया जा सकता।

इस मुद्दे पर विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों पर चर्चा के लिए एक प्रस्ताव रखा गया था और उसमें श्री राजीव गांधी के नाम का कोई उल्लेख नहीं था। उन्होंने कहा कि उनका नाम विधायक जरनैल सिंह ने अपने भाषण में जोड़ा। दंगों का मुद्दा काफी भावनात्मक था और लोग उस पर अपनी बात रखते हुए भावनाओं में बह गए।

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