मध्यप्रदेश व राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनते ही दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भारतीय जनता पार्टी के पूरे इकोसिस्टम को चंद लाइनों में ध्वस्त कर दिया। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक आदेश जारी कर बुधवार को सभी निगम, मंडल के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों के मनोनयन को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है।

Dux ZigUcAETMbVकमलनाथ के हस्ताक्षर से जारी आदेश में कहा गया है कि प्रदेश के समस्त निगमों, मंडलों, प्राधिकारणों, समितियों, परिषदों एवं अन्य संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, संचालक, सदस्यों के मनोनयन तत्काल प्रभाव से निरस्त किए जाते हैं। बता दें कमलनाथ के इस आदेश के पहले ही कई मंडलों और निगम के अध्यक्ष अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं। जो शेष रह गए थे, उनके मनोनयन को खत्म करने के आदेश बुधवार को दिए गए।

ठीक इसी तरह राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने भी मंत्रिमंडल गठन से एक दिन पहले वसुंधरा राजे सरकार में बनाए गए बोर्ड एवं निगमों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्तियां निरस्‍त कर दी हैं। प्रशासनिक सुधार विभाग ने आदेश जारी कर बोर्डों और आयोगों को भी भंग कर दिया है। इसके साथ ही कैबिनेट सचिवालय में इन्हें दिया गया कैबिनेट, राज्यमंत्री या उपमंत्री का दर्जा वापस ले लिया है।

अब उनसे इस दर्जे के बतौर मिली गाड़ियां, भत्ते और ऑफिस की विशेष सुविधाएं वापस ले ली गई है। अब गहलोत सरकार नए ढंग से कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को उपकृत करने के लिए राजनीतिक नियुक्तियां करेगी। सोमवार को होने वाले मंत्रिमंडल गठन में जिन वरिष्ठ विधायकों को स्थान नहीं मिलेगा, उन्हे बोर्ड एवं निगमों में समायोजित किया जाएगा।

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