“प्रधानमंत्री को उनका मजाक नहीं उड़ाना चाहिए जो…”, राहुल और प्रियंका ने PM Modi पर साधा निशाना

अवसाद और आत्महत्या कोई हंसी का विषय नहीं- प्रियंका गांधी

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Rahul Gandhi:राहुल और प्रियंका ने PM Modi पर साधा निशाना
Rahul Gandhi:राहुल और प्रियंका ने PM Modi पर साधा निशाना

Rahul Gandhi:कर्नाटक में विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी, कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक पार्टियों के नेता चुनावी रैली में लगे हुए हैं। वहीं, इस बीच पीएम मोदी के द्वारा एक ‘चुटकुले’ को लेकर विपक्ष ने उनपर निशाना साधा है। दरअसल, एक टीवी कार्यक्रम में पीएम मोदी ने एक चुटकुले सुनाते हुए कहा था कि एक प्रोफेसर की लड़की मानसिक तनाव के कारण सुसाइड कर लेती है और वह सुसाइड नोट भी छोड़ कर जाती है। वहीं, जब उसके प्रोफेसर पिता को वो सुसाइड नोट मिलता है तो वे इस बात से नाराज होते हैं कि एक प्रोफेसर की बेटी होकर सही से एक स्पेलिंग भी नहीं लिख पाई। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इसे आत्महत्या करने वालों और उनके पीड़ित परिवारों का अपमान बताया है।

Rahul Gandhi
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Rahul Gandhi:प्रधानमंत्री को नहीं उड़ाना चाहिए उनका मजाक-राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने पीएम के द्वारा आत्महत्या वाले एक चुटकुले को लेकर ट्वीट कर अपनी नाराजगी जताई है। राहुल ने ट्वीट कर लिखा,”हजारों परिवार आत्महत्या के कारण अपने बच्चों को खोते हैं। प्रधानमंत्री को उनका मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।”

राहुल के इस ट्वीट पर बिहार यूथ कांग्रेस ने अपनी बात कहते हुए ट्वीट किया है,”रोज लगभग 450 लोग आत्महत्या करने पर मजबूर हैं और पीएम मोदी संवेदनहीन होकर आत्महत्या करने पर चुटकुला सुना रहे हैं।”

अवसाद और आत्महत्या कोई हंसी का विषय नहीं- प्रियंका गांधी
पीएम मोदी पर राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अवसाद और आत्महत्या कोई हंसी का विषय नहीं है। प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी के वीडियो को ट्वीट कर लिखा,”अवसाद और आत्महत्या, खासकर युवाओं में, कोई हंसी का विषय नहीं है।” उन्होंने एनसीआरबी के आंकड़ों को बताते हुए लिखा,”एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 1,64,033 भारतीयों ने आत्महत्या की। जिनमें से एक बड़ा प्रतिशत 30 वर्ष से कम आयु के लोगों का था। यह एक त्रासदी है मजाक नहीं।”
प्रियंका ने कहा,”प्रधानमंत्री और उनके मजाक पर दिल खोलकर हंसने वालों को इस असंवेदनशील, रुग्ण तरीके से मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों का उपहास करने के बजाय खुद को बेहतर ढंग से शिक्षित करना चाहिए और जागरूकता पैदा करनी चाहिए।”

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