2019 लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने सवर्ण आरक्षण का बड़ा दांव खेलकर विपक्ष के चुनावी हमलों को एक तरह से कमजोर कर दिया है। सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए मंगलवार को लोकसभा में संशोधित बिल पास हुआ। अब केंद्र सरकार के सामने इस बिल को राज्यसभा में पास कराने की चुनौती है।

बता दें कि बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को लोकसभा में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया था। गरीब सवर्णों के लिए 10 फ़ीसदी का यह आरक्षण 50 फ़ीसदी की सीमा से अलग होगा। केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को इस संशोधन को मंज़ूरी दी थी।

राज्यसभा में पास कराना चुनौती

राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं है, हालांकि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने लोकसभा में जिस तरह इस बिल का समर्थन किया है। उससे लगता है कि सरकार के लिए ये बिल राज्यसभा में आसानी से पास हो जाएगा। बता दें कि लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में भी इस बिल को पास कराने के लिए दो तिहाई से अधिक वोटों की जरूरत होगी।

राज्यसभा का समीकरण

राज्यसभा में एनडीए सरकार के पास बहुमत से काफी कम आंकड़ा है। एनडीए के पक्ष में सिर्फ 90 सदस्य हैं, जिनमें बीजेपी के 73, निर्दलीय + मनोनीत 7, शिवसेना के 3, अकाली दल के 3, पूर्वोत्तर की पार्टियों की तीन (बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट+सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट+नागा पीपल्स फ्रंट) और आरपीआई के 1 सांसद हैं।

जबकि विपक्ष के पास 145 सांसद हैं, जिसमें कांग्रेस के 50, टीएमसी के 13, समाजवादी पार्टी के 13, एआईएडीएमके के 13, बीजेडी के 9, टीडीपी के 6, आरजेडी के 5, सीपीएम के 5, डीएमके के 4, बीएसपी के 4, एनसीपी के 4, आम आदमी पार्टी के 3, सीपीआई के 2, जेडीएस के 1, केरल कांग्रेस (मनी) के 1, आईएनएलडी के 1, आईयूएमएल के 1, 1 निर्दलीय और 1 नामित सदस्य शामिल हैं।

5 घंटे चली बहस के बाद पास हुआ बिल

मंगलवार को लोकसभा में 5 घंटे से भी अधिक की बहस के बाद लोकसभा में संविधान संशोधन बिल पास हुआ। बहस में वित्त मंत्री अरुण जेटली, एआईएमआईएम असदुद्दीन ओवैसी, एआईएडीएमके के एम. थंबीदुरई समेत कई बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया। बहस के बाद हुई वोटिंग में कुल 326 सांसदों ने हिस्सा लिया, इसमें 323 सांसदों ने बिल के पक्ष में और 3 लोगों ने विपक्ष में वोट दिया।

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