प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर किसान आंदोलन के मुद्दे पर सरकार का रुख साफ किया है। बुधवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने लोकसभा में कहा कि नए कृषि कानूनों ने किसानों से कुछ नहीं छीना है, फिर भी इसका विरोध हो रहा है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जहां तक किसान आंदोलन का सवाल है। दिल्ली के बाहर हमारे भाई-बहन बैठे हैं। आंदोलन कर रहे सभी किसान भाई-बहनों का सरकार आदर करती है और आगे भी करती रहेगी। इसी लिए सरकार के मंत्री लगातार किसानों से बात कर रहे हैं। जब पंजाब में आंदोलन चल रहा था, उस समय भी सरकार और किसानों के बीच बातचीत हुई। उनसे क्लॉज वाइस क्लॉज चर्चा करने के लिए कहा गया। हमारा मानना है कि अगर किसानों का कानूनों से नुकसान है तो उसे बदलने में कुछ नहीं जाता है। वे अगर स्पेसिफिक बताते हैं तो हमें कानूनों को बदलने में कोई संकोच नहीं है। 

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं हैरान हूं कि पहली बार सदन में यह तर्क आया कि जब मैंने मांगा नहीं तो दिया क्यों। इस पर मैं कहना चाहता हूं कि यह विकल्प के तौर पर है। सभी के लिए जरूरी नहीं है। इस देश में दहेज के खिलाफ कानून बना, लेकिन उसकी किसी ने मांग नहीं की थी। तीन तलाक पर कानून की किसी ने मांग नहीं की थी, लेकिन फिर भी कानूनों की जरूरत थी, इसलिए बनाया। शिक्षा के अधिकार की मांग किसी ने मांग नहीं की थी, लेकिन बदलाव के लिए जरूरी था तो सरकार ने बनाया।

प्रधानमंत्री जिस समय किसान आंदोलन और कृषि कानूनों पर बोल रहे थे, उस समय कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने हंगामा किया। विपक्षी दल के सांसद लगातार कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग करते रहे। वहीं, कांग्रेस के सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा कृषि कानूनों के बारे में कहा कि इस कोरोना काल में तीन कानून भी लाए गए हैं। ये कृषि सुधार का सिलसिला काफी आवश्यक और महत्वपूर्ण है। सालों से जो हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा है, उसमें सुधार लाने के लिए हमने ईमानदारी से प्रयास किया है। कई एक्सपर्ट्स ने कहा है कि कृषि चुनौतियों पर अभी से काम करना पड़ेगा। उसी पर हमने काम किया। यहां कांग्रेस सदस्यों ने कानून के कलर पर चर्चा की कि ब्लैक एंड व्हाइट है। लेकिन अच्छा होता तो कानून के कॉन्टेंट पर बात होती। 

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