गुरमीत राम रहीम मामले की सुनवाई के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी पर कोर्ट की कथित टिप्पणी को लेकर मचे बवाल के बीच पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने साफ किया कि उन्होंने पीएम मोदी पर कोई भी टिप्पणी नहीं की। मीडिया को फटकार लगाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि ‘नरेंद्र मोदी भाजपा के नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री है’ लेकिन कई मीडिया संस्थानों ने इसे एक प्रमुख खबर के रूप में चलाया।

इस संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए तीन जजों की पीठ ने कहा कि जिस संदर्भ में यह बात कही गई थी, उसमें भी ऐसा कुछ नहीं था। मीडिया ने हाईकोर्ट की टिप्पणी को गलत ढंग से पेश किया।

मीडिया पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि हमने पहले भी मीडिया से उम्मीद जताई थी कि वे जिम्मेदारीपूर्वक अपना काम करेंगे लेकिन कुछ ने अपनी जिम्मेदारी को सही तरह से नहीं निभाया है। बिना संदर्भ समझे इस प्रकार का समाचार प्रकाशित करना दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। चेतावनी भरे लहजे में कोर्ट ने आशा जताई कि भविष्य में हाईकोर्ट की खबरों को मीडिया द्वारा गंभीरता से कवर किया जाएगा।

सुनवाई के दौरान जब डेरे के वकील ने कहा कि पुलिस अकारण डेरों को सील कर रही है तो कोर्ट ने कहा कि हमने किसी डेरे को सील करने के लिए नहीं कहा है। हमने केवल जांच के लिए कहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डेरों में हथियारों जैसी कोई खतरनाक चीज न हो।

पुलिस का सख्त होना बेहद जरूरी

डेरा प्रमुख राम रहीम के आरोपी होने के बाद पंजाब और हरियाणा राज्य में उपजी हिंसा पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिस और सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर संतुष्टि जताई है। कोर्ट ने दो टूक टिप्पणी की कि अगर युद्ध जैसी स्थिति हो तो उससे युद्ध की तरह ही निपटा जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा पुलिस और सुरक्षा बलों ने जिस सख्ती के साथ दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की है उससे लोगों में एक संदेश गया है कि अगर दोबारा किसी ने इस तरह की हरकत की तो उनके खिलाफ भी ऐसी ही सख्त कार्रवाई की जाएगी।

हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस कभी कमजोर और पीड़ित नजर नहीं आनी चाहिए। पुलिस को सख्त होना बेहद जरूरी है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी मंगलवार को कुछ वकीलों की ओर से डेरा समर्थकों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर सवाल उठाने पर की गई।

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