उत्तराखण्ड में भारी बहुमत के साथ चुनाव जीत कर सत्ता में काबिज हो चुकी बीजेपी में अब नये नेताओं को एंट्री नही मिल सकेगी। सबसे ज्यादा सदस्यों वाली पार्टी बीजेपी के उत्तराखण्ड में 12 लाख सदस्य हैं। उत्तराखंड में बीजेपी सरकार त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में गठित हो चुकी है। ऐसे में प्रदेश बीजेपी का यह फैसला चौंकाने वाला भी है। चुनाव में जीत के बाद इस फैसले को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि शायद अब बीजेपी को नये कार्यकर्ताओ की जरूरत नही है।

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट द्वारा जारी किये गए एक आदेश के मुताबिक बीजेपी फ़िलहाल नए सदस्य नहीं बनाएगी,न ही पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ चुके नेताओं की पार्टी में वापसी होगी। बीजेपी ने ऐसे नेताओं को छः साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इस फैसले की वजह सरकार बनने के बाद फिर से पार्टी में आने की जुगत लगा रहे नेताओं के लिए पार्टी के दरवाजे को बंद करने से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष ने ऐसे नेताओं द्वारा पार्टी के झंडे और बैनर के प्रयोग पर भी रोक लगाने की बात कही है। अगर ऐसे नेता इस आदेश का उल्लंघन करेंगे या बिना पार्टी से इज़ाज़त लिए पार्टी के झंडे बैनर का प्रयोग करेंगे तो पार्टी उनपर कारवाई कर सकती है।

इस आदेश के बारे में जानकारी देते हुए उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता विरेन्द्र बिष्ट का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष ने जो आदेश दिये है उन्हे सभी को मानना होगा। उन्होने कहा कि नई प्रकिया तक किसी को पार्टी में शामिल नही किया जायेगा। बीजेपी के इस अंदरूनी फैसले के बाद कांग्रेस ने भी अपनी विपक्ष की मर्यादा निभाते हुए तंज कसा है। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि बीजेपी की नजरें सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ताओ को तोड़ने की है। अपने कार्यकर्ताओं को बीजेपी नही संभाल पा रही है।

बीजेपी के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या सिर्फ चुनाव जीतने तक ही कार्यकर्ताओं की जरुरत है? इसके अलावा बीजेपी का विरोध कर चुनाव से पहले पार्टी छोड़ कर गए नेताओं के लिए बीजेपी के दरवाजे बंद होने के बाद उन्हें अब नए ठिकाने की तलाश करने की भी जरुरत पड़ सकती है।

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