इन दिनों #MeToo को लेकर हर ओर चर्चा है। फिल्म इंडस्ट्री, मीडिया जगत से लेकर राजनीति तक के लोग इसमें बेनकाब हो रहे हैं। अब तक लगे आरोपों में ज्यादातर लोगों ने खुद को पाक साफ बताया है, हालांकि कुछ लोगों ने सामने आकर माफी भी मांगी है। मी टू कैंपेन के तहत पर अब पद्मभूषण कलाकार जतिन दास फंसते नजर आ रहे हैं। संरक्षणवादी कार्यकर्ता निशा बोरा ने मंगलवार जतिन दास पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया।
बोरा ने कहा कि जतिन ने अपने खिड़की गांव स्थित स्टूडियो में 2004 में उनका यौन उत्पीड़न किया था। निशा बोरा ने मंगलवार को ट्वीट किया, “मैं जतिन से उनके स्टूडियो में खिड़की गांव में मिली थी। दूसरी बात जो मैं जानती हूं वह यह कि उन्होंने मुझे पकड़ने की कोशिश की थी। मैं घबराकर उनसे दूर हो गई। इसके बाद उन्होंने फिर ऐसा करने की कोशिश की। इस बार वह भद्दे तरीके से मेरे होठों को चूमने में कामयाब रहे।”
#MeToo One of India's most feted artists alive. Padma Bhushan recipient. My molestor. Long post alert. @IndiaMeToo and so MANY other women, starting with @Rxyxsx Thank you for so much. pic.twitter.com/a6VFC6iHys
— Nisha Bora (@NishaBora) October 16, 2018
बोरा ने कहा, “मैं आज भी उनकी दाढ़ी की चुभन महसूस करती हूं। मैं उन्हें धक्का देकर दूर हो गई। उस समय उन्होंने मुझसे कहा था कि आओ भी, अच्छा लगेगा। यह ऐसा ही कुछ।”
बोरा ने कहा, “मेरा मानना था कि इस बारे में बात करने से दिक्कत पैदा होगी। मुझे लगता था कि उस मुसीबत के लिए मैं खुद जिम्मेदार हूं और मुझे ही उससे निपटना है। मैं खुद को दोषी और शर्मिंदा महसूस करती थी।” बोरा ने कहा कि वह जतिन दास की बेटी फिल्म निर्माता और अभिनेत्री नंदिता दास से छोटी थीं। बोरा का कहना है कि यौन उत्पीड़न की शिकार हो चुकीं महिलाओं की कहानियों को सुनकर उनके छिपे हुए घाव उभरकर सामने आ गए।
वहीं जतिन ने इन आरोपों को हास्यास्पद और अशिष्ट करार देते हुए झूठा बताया है। दास ने कहा, “यह भयावह है। इससे ज्यादा मैं क्या कह सकता हूं। यह बहुत ही घटिया है।” उन्होंने बोरा को पहचानने से भी इनकार कर दिया। जतिन दास ने कहा, “अगर आप सैंकड़ों लोगों से मिलते हैं और जब कोई इस तरह के आरोप लगाता है तो यह बहुत घटिया है। उन चेहरों को याद रखना बहुत मुश्किल है, लेकिन कोई इस हद तक नहीं गिर सकता।”
आपको बता दें कि बोरा एलरहिनो पेपर की सह संस्थापक हैं। यह संगठन असम में स्थित है, जो गैंडो व हाथी के गोबर से हाथ के कागज बनाता है। बोरा ने कहा कि वह दास से 2004 में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में मिली थीं। उस समय बोरा की उम्र 28 साल थी।