तीन देशों की यात्रा कर दिल्ली पहुंचे पीएम मोदी आज गुजरात दौरे पर हैं। अपने इस दौरे में पीएम मोदी चंपारण सत्याग्रह के 100वें वर्षगांठ का जश्न मनाने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम पहुंचे, जहां उन्होंने चरखे से सूत काट महात्मा गांधी जी को याद किया। कार्यक्रम के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने महात्मा गांजी जी को याद कर कहा,’इतिहास भूलने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है, दुनिया का कोई शख्स गांधी जी को प्रभावित नहीं कर पाया।’ इस दौरान उन्होंने अपनी हाल-ए-दिल को बया करते हुए गौरक्षा के नाम पर भीड़ द्वारा मारे जा रहे निर्दोषों पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा,’मैं देश के वर्तमान माहौल की ओर अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूं और अपनी नाराजगी भी व्यक्त करता हूं।’

Narendra Modiअहिंसा परमों धर्म: के मार्ग पर चलने वाले भारतवर्ष को आज क्या हो गया हैं? भारत का इतिहास रहा है कि बिना किसी कारण किसी जिव को भी नुकसान नहीं पहुंचाता हैं तो आज बीफ के नाम पर निर्दोषों की हत्या क्यों? उन्होंने गोरक्षकों पर तंज कसते हुए कहा कि कनून हाथ में लेना किसी समस्या का समाधान नहीं है। क्या यही गौरक्षा है? उन्होंने माहात्मा गांधी और विनोबा जी का उदाहरण प्रस्तुत कर कहा कि गौ भक्ति और गौरक्षा इनसे बढ़कर कोई और नहीं कर सकता है। विनोबा जी ने गौ के प्रति आत्मसमर्पण कर जीवन भर गौरक्षा के लिए काम करते रहे। राष्ट्र में भाई चारा कायम करने के लिए एक बार पुन: देशवासियों को अहिंसा के मार्ग पर चलना होगा। देश को एक बार फिर ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीड़ पराई जाने रे’ के मार्ग पर चलना होगा। अपने संबोधन के दौरान पीएम ने डॉक्टरों, श्री रामचंद्र जी, नीदरलैंड व स्वच्छता अभियान का जिक्र किया।

गौरक्षा और गौभक्ति पर पीएम का बयान-

समाज में हिंसा की कोई जगह नहीं है।

हम कैसे लोग हैं गाय के नाम पर इंसान को मारते हैं?

क्या किसी इंसान को मारने का हक़ मिल जाता है, क्या ये गोरक्षा है?

हिंसा समस्याओं का समाधान नहीं है।

गौभक्ति के नाम पर हो रही हत्याएं स्वीकार्य नहीं है। महात्मा गांधी ऐसी चिजों से कभी सहमत नहीं होते।

विनोबा भावे और गांधी जी से बड़ा कोई गोरक्षक नहीं हुआ, उन्होंने सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया।

किसी भी इंसान को कानून हाथ में लेने का कोई हक नहीं।

मरीजों की मौत पर अस्पताल को जला देना कहां का न्याय।

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