UP Election 2022: Modi Government की किरकिरी तय, Varun Gandhi ने संसद में रखा MSP पर प्राइवेट मेंबर बिल

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Varun Gandhi
Varun Gandhi

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है भारतीय जनता पार्टी के सांसद Varun Gandhi की उग्रता मोदी सरकार के प्रति बढ़ती जा रही है। बीते कुछ महीनों से किसान आंदोलन को मुद्दा बनाने में लगे हुए वरुण गांधी ने संसद के शीतकालीन सत्र में फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल रख दिया है। जिससे मोदी सरकार की किरकिरी होनी तय है।

वरुण गांघी ने रविवार को बिल के मसौदे को ट्वीट करते हुए लोगों से इस पर उनके सुझाव भी मांगे हैं। वहीं उन्होंने एमएसपी कानून पर कुछ सुझावों की लिस्ट संसद को सौंपी है।

वरुण गांधी ने ट्वीट करके लिखा है, ‘भारत के किसानों और सरकार ने लंबे वक्त से तमाम आयोगों के भीतर और बाहर कृषि संकट पर बहस की है। अब एमएसपी कानून का वक्त आ गया है। कानून में मेरे हिसाब से किस तरह के प्रावधान होने चाहिए, इसे लेकर मैंने एक मसौदा तैयार किया है और इसे संसद के पटल पर रख दिया है। इस पर किसी भी तरह की आलोचना या सुझाव का स्वागत है।’

सांसद वरुण गांधी के प्रस्तावित विधेयक की खास बातें

1. इस विधेयक में 22 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटीशुदा खरीद की परिकल्पना की गई है। ये फसलें देश में एक लाख करोड़ के वार्षिक वित्तीय परिव्यय के साथ भारत में बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं। फसलों की यह सूची कृषि उत्पादों को जरूरत के आधार पर शामिल करने के लिए खुला रहेगा।

2. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को उत्पादन की कुल लागत पर 50 फीसद लाभांश के आधार पर निर्धारित किया गया है। यह मूल्य स्वामीनाथन समिति (2006) द्वारा अनुशंसित फसल तैयार करने के लिए किए गए वास्तविक खर्च, अवैतनिक पारिवारिक श्रम के बराबर मूल्य तथा कृषि भूमि और कृषि से जुड़े अन्य साजो-सामान के छोड़े गए किराए की परिगणना पर आधारित है। विधेयक में इस बात की व्यवस्था होगी कि एमएसपी से कम कीमत हासिल करने वाला कोई भी किसान प्राप्त मूल्य और गारंटीशुदा एमएसपी के बीच मूल्य के अंतर के बराबर मुआवजे का हकदार है।

3. यह विधेयक गुणवत्ता मानकों के आधार पर विभिन्न फसलों के वर्गीकरण का प्रावधान करता है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि यदि फसल पूर्व-निर्धारित गुणवत्ता को पूरा नहीं करती है तो किसानों को संकटपूर्ण बिक्री की नौबत का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा, फसल भंडारण के बदले कृषि ऋण का प्रावधान अगले फसल कटाई के मौसम के लिए कार्यशील पूंजी और संकटपूर्ण बिक्री के जोखिम को कम करने के लिए अतिरिक्त तौर पर रहेगा।

4. किसानों को समय पर भुगतान के साथ उनकी फसलों के लिए एमएसपी प्राप्त करने की गारंटी दी जाएगी। लेनदेन की तारीख से दो दिनों में खरीदार द्वारा फसल बेचने वाले किसानों को यह रकम सीधे बैंक खाते में जमा कराना होगा। अगर किसी कारण से एमएसपी का मूल्य किसानों को नहीं मिलता है तो सरकार को बिक्री मूल्य और एमएसपी के बीच के मूल्य अंतर का भुगतान इस मामले की सूचना मिलने के एक हफ्ते के भीतर करना होगा।

5. यह विधेयक फसलों की विविधता को प्रोत्साहित और खेती के लिए प्रत्येक प्रखंड के लिए सबसे उपयुक्तफसल की सिफारिश करता है ताकि इससे कृषि के लिए पर्यावरणीय लागत कम हो, खासतौर पर भूजल के मामले में। जाहिर तौर पर इससे दीर्घकालिक पारिस्थितिक स्थिरता के लिए उपयुक्तफसल पैटर्न को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

6. किसानों के लिए से उपज की कीमत की घोषणा फसली मौसम शुरू होने के दो महीने पहले होनी चाहिए ताकि वे अपने बुवाई की योजना अग्रिम तौर पर बना सकें।

7. इस प्रस्तावित कानून को लागू कराने के लिए कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय में अलग से एक विभाग बनाया जाएगा। यह विभाग अलग निर्णय लेने वाली एक संस्था के तौर पर होगी, जिसमें किसान प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी और कृषि नीति के विशेषज्ञ शामिल रहेंगे।

8. यह विधेयक प्रत्येक पांच गांव पर एक अच्छी तरह से व्यवस्थित खरीद केंद्र स्थापित करने और आपूर्ति शृंखला के बुनियादी ढांचे (गोदाम, कोल्ड स्टोरेज आदि) के निर्माण का प्रस्ताव करता है ताकि किसानों को फसल कटाई के बाद अपनी उपज को निर्बाध रूप से स्टोर करने और उन्हें बेचने में सहूलियत हो।

9. शिकायत दर्ज होने के 30 दिनों के भीतर विवाद समाधान का प्रावधान होगा, जिसमें असंतुष्ट पक्ष के पास न्यायिक व्यवस्था तक पहुंच का अधिकार सुरक्षित रहेगा।

मालूम हो कि कृषि कानूनों के विरोध में विभिन्न किसान संगठनों के द्वारा एक वृहद और लंबा आंदोलन चला, जिसके बाद हार कर मोदी सरकार को कृषि कानूनों के वापसी का ऐलान करना पड़ा। कृषि कानून की वापसी की घोषणा के बाद बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा और सरकरा से मा्ंग की कि एमएसपी पर कानून बनाने की मांग व अन्य मुद्दों पर सरकार के द्वारा तत्काल निर्णय लिया जाना चाहिए। साथ ही उस पत्र में वरुण गांधी ने पीएम मोदी से मांग की थी की आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपए की मुआवजा राशि प्रदान करें।

गौरतलब है कि सांसद वरुण गांधी ने किसान आंदोलन के दौरान हुई लखीमपुर खीरी की घटना को लोकतंत्र के इतिहास में काला दाग बताया था। लखीमपुर खीरी मामले में आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा ने अपनी जीप से कई किसानों कुचल दिया था। इस घटना में 4 किसानों सहित कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी।

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