बच्ची के शव के चारों तरफ जार-जार होकर रोती रोती महिलाएं…ये तस्वीर सीतापुर के खैराबाद इलाके की है…बच्ची की सांसों पर हमेशा के लिए लगाम लगाने के लिए कोई इंसानी भेड़िया जिम्मेदार नहीं है…बल्कि इसकी जान आदमखोर कुत्तों ने ले ली…बच्ची को आदमखोर कुत्तों ने उसके चेहरा, माथा और कमर पर बुरी तरह काटा…सिर को बुरी तरह नोंच डाला…सीतापुर के खैराबाद इलाके में एक बार फिर से आदमखोर कुत्तों ने नोंच-नोंच कर तीन बच्चों को मौत के घाट उतार दिया…आवारा आदमखोर कुत्तों का ताजा शिकार बनने वालों में दो लड़कियां और एक लड़का शामिल है…

पहली घटना सुबह छह बजे टिकरिया गांव में हुई, जहां कैलाशनाथ की 11 साल की बेटी शामली को बाग जाते समय कुत्तों ने नोच डाला…शोर सुनकर लोगों ने कुत्तों को भगाया…लेकिन थोड़ी देर बाद ही कुत्तों के नोंचने से घायल हुई शामली की मौत हो गई…दूसरी घटना गुरपलिया गांव में हुई…जहां आबिद अली के 12 साल के बेटे खालिद को आदमखोर कुत्तों के झुंड ने मार डाला…खालिद को बचाने के लिए भी दौड़े लेकिन तब तक उसकी सांसें उखड़ चुकी थीं…आदमखोर कुत्तों के झुंड ने खैराबाद के कोलिया गांव में आम के बाग में गई रघुनंदन की 8 साल की मासूम बिटिया कोमल को 11 बजे दिन में नोंच-नोंचकर मार डाला…

बीते चार महीने के भीतर सीतापुर के अलग-अलग इलाकों में आदमखोर कुत्तों के झुंड 14 बच्चों को मौत के घाट उतार चुके हैं…जबकि इनके हमसे में करीब 100 लोगों घायल हो चुके हैं…बीते जनवरी महीने में बारह साल रहीम को कुत्तों ने नोंच कर उसकी जान ले ली थी…वहीं प्रशासन आदमखोर कुत्तों को मारने की बजाय मूकदर्शन बना है…कहने को प्रशासन की तरफ से आवारा आदमखोर कुत्तों के खिलाफ एक अभियान चलाया गया था…लेकिन कुछ ही दिन बाद इसे रोक दिया गया…

ऐसे में सवाल यही है कि, जिला प्रशासन को मासूमों की जान और लोगों की हिफाजत की कोई चिंता ही नहीं है…इसी वजह से प्रशासन 14 बच्चों की मौत पर भी अभियान चलाकर इन्हें मारने की बजाय चुप है…ऐसे में सवाल यही कि, नकारा सीतापुर जिला प्रशासन की काहिली से कब तक मासूम बच्चे आवारा आदमखोर कुत्तों के जबड़ों में फंसकर बेमौत मरते रहेंगे…क्या सीएम योगी और उनकी सरकार सीतापुर जिला प्रशासन के निकम्मेरन का इलाज कर सकेंगे…

एपीएन ब्यूरो

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