मुंह पर रूमाल रखकर स्कूल में पढ़ाते टीचर बच्चों का भविष्य कैसे बनाएंगे ये बड़ा सवाल है। ऐसा इसलिये क्योंकि पास में बदबू का डेरा है। शिक्षक से लेकर बच्चे तक परेशान हैं। सरकार एक तरफ स्वच्छ भारत मिशन को लेकर करोड़ों रुपये बहा रही है वहीं ये बच्चे कैसे पढ़ेंगे इससे न तो शासन और न ही काशीपुर प्रशासन को ही कोई मतलब है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के चलते काशीपुर अंचल में स्वच्छ भारत मिशन को पलीता लगता दिखाई पड़ रहा है। मुख्यालय में लगने वाले साप्ताहिक बाजार में कूड़े का अंबार है।

बाजपुर विधानसभा क्षेत्र के सुल्तानपुर पट्टी नगर के साथ-साथ साप्ताहिक बाजार में गंदगी का ढेर है। बाजार की गलियां दलदल में तब्दील हो रही हैं, जिससे व्यापारियों और ग्रामीणों को आने-जाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्राहक भी दूसरे बाजारों का रुख करने को मजबूर हैं।

बारिश के समय नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी जीएस सुयाल ने अजीब निर्देश जारी किये। इसकी वजह से नगर का कूड़ा सप्ताहिक बाजार में फेंका जा रहा है। ऐसे में समस्या जस की तस बनी हुई है।

साप्तहिक बाजार के इलाके में कूड़ा डाले जाने से व्यापारियों को लाखों का नुकसान हो रहा है। पास में स्कूल, पार्क ओर बस्ती है। बदबू के कारण राहगीर से लेकर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे और टीचर मुंह पर रुमाल रखकर शिक्षा लेने को मजबूर है। इस गंदगी से बीमारियां फैलने का खतरा है। वहीं आवारा जानवर इसे दूर- दूर तक फैला रहे हैं। लेकिन गंदगी से निजात दिलाने की जिम्मेदारी नगर पंचायत के जिम्मेदार अधिशासी अधिकारी जीएस सुयाल को ना-मालूम है।

एपीएन ब्यूरो

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