जाट आन्दोलन एक बार फिर भड़क उठा है। जाट आज अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करने दिल्ली के जंतर मंतर पहुँच रहे हैं। यहाँ अपनी ताकत दिखाने के साथ जाट अपनी मांगों को मनवाने के लिए राष्ट्रपति से अपील भी करेंगे। दिल्ली में आज हो रहे प्रदर्शन में राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश समेत कई अन्य राज्यों से जाट बिरादरी के जुटने की बात कही जा रही है। इससे पहले जाट आंदोलन की अगुवा ऑल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने 1 मार्च से असहयोग आंदोलन करने की बात कही थी।
जाटों के दिल्ली में आज हो रहे प्रदर्शन में पुलिस के लिए कानून व्यवस्था के साथ ट्रैफिक से निपटने की बड़ी चुनौती होगी। प्रदर्शन के मद्देनजर दो हजार पुलिसकर्मियों के अलावा पैरा मिलिट्री की पांच कंपनियों की तैनाती की गई है। आवासीय इलाकों, नेताओं व अन्य वीआइपी के सरकारी आवासों के बाहर जवानों को मुस्तैद रखा गया है। हरियाणा से सटी दिल्ली की सीमा व सभी मार्गों पर काफी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे।
जाटों ने पहले जहाँ ट्रेक्टर और ट्राली से पहुँचने की बात कही थी वहीं अब रणनीति बदलते हुए बस और ट्रक में भरकर लोगों को लाने का इंतजाम किया गया है। अभी तक दस हज़ार से ज्यादा लोगों के जंतर मंतर पहुँचने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस प्रद्रर्शन के अलावा जाटों ने सब्जी फल और दूध जैसी अत्यंत जरुरी चीजों की आपूर्ति बंद करने की धमकी भी दी है।असहयोग की बात करें तो उन्होंने बिजली-पानी बिल जमा नहीं करने के साथ सरकारी ऋण की क़िस्त भरने से भी मना करने की बात कही है।
जाटों के प्रदर्शन और रौद्र रूप लेते जा रहे विरोध को देखते हुए इस मुद्दे पर हरियाणा विधानसभा में चर्चा हुई। विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश करते हुए इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी हरियाणा में जाटों को सरकारी नौकरियों और संस्थानों में आरक्षण पर राजनीति करने का प्रयास कर रही हैं। पिछले साल सहमति जताने के बाद भी राज्य सरकार जाट समुदाय की मांगों को पूरा करने में विफल रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि जाट आरक्षण आंदोलन के मुद्दे पर सरकार कानून की परिधि में खुले मन से बातचीत को आज भी तैयार है।
गौरतलब है कि ऑल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति आरक्षण के अलावा जाट आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को नौकरी, घायलों को मुआवजा देने के साथ उनके खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग कर रही है। इन मांगों के अलावा ऐसी कार्रवाई का आदेश देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की गई हैं। आपको बता दें कि वर्ष 2016 के फरवरी महीने में हुए जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 30 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस दौरान सरकारी व निजी संपत्ति को भी भारी क्षति पहुंचाई गई थी।