भारत नया भारत बन गया है। खुद के साथ पड़ोसी मुल्क का भी ख्याल रखने में सक्षम है देश। कोरोना वैक्सीन का बड़ा आपूर्ति कर्ता बन गया है। आबादी के हिसाब से देश बहुत बड़ा है लेकिन जरूरतमंद पड़ोसियों को कोरोना वैक्सीन भेज रहा है। । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ‘वैक्सीन मैत्री’ का नाम दिया था।

भारत की इस दरियादिली की दुनियाभर में तारीफ हो रही है। अब खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन के चीफ ट्रेड्रोस अधानोम भारत के कायल हो गए हैं और उन्होंने पीएम मोदी को शुक्रिया भी कहा है।

डब्ल्यूएचओ चीफ ने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘ग्लोबल कोविड-19 रिस्पॉन्स को लगातार समर्थन देने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया। मिलकर काम करने, ज्ञान साझा करने से ही हम इस वायरस को रोक सकते हैं और जिंदगियां बचा सकते हैं।’

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 टीकों की 20 लाख खुराक भेजने के लिए पीएम मोदी का शुक्रिया अदा किया था। हसीना ने ट्वीट किया, ‘मैं प्रधानमंत्री मोदी को उपहार के रूप में वैक्सीन भेजने के लिए धन्यवाद देती हूं, मुझे उम्मीद है कि बांग्लादेश को कोविड-19 महामारी से छुटकारा मिलेगा।

इससे पहले ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने भी वैक्सीन की पहली खेप मिलने के बाद भारत का शुक्रिया अदा किया था और संजीवनी बूटी ले जाने वाले भगवान हनुमान से तुलना की थी। उन्होंने कहा था कि भारत से वैक्सीन पाकर ब्राजील सम्मानित महसूस कर रहा है।

खबरों के मुताबिक, दुनिया के 92 देशों ने मेड इन इंडिया वैक्सीन के लिए भारत से संपर्क किया है। भारत में 16 जनवरी से टीकाकरण अभियान शुरू हुआ था लेकिन बिना देरी किए भारत ने अपने पड़ोसी मुल्कों को भी वैक्सीन की आपूर्ति की। दरअसल, भारत में इस्तेमाल हो रही वैक्सीन के साइड इफेक्ट लगभग न के बराबर है। डोमिनिकन रिपब्लिक के प्रधानमंत्री रूजवेल्ट स्केरिट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना वैक्सीन भेजने का अनुरोध किया है। बोलीविया की सरकार ने 50 लाख डोज कोरोना वैक्सीन के लिए सीरम इंस्टीट्यूट के साथ करार किया है।

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