उत्तर प्रदेश के बांदा में राष्‍ट्रगान के अपमान की शिकायत करने वाली एक महिला समाजसेविका को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। समाजसेविका की गिरफ्तारी के लिए पुलिस कोविड-19 नियमों के उलंघन का हवाला दे रही है। बताया जा रहा है कि गिरफ्तारी से पहले महिला की पुलिस से जमकर बहसबाजी भी हुई है। पुलिस का कहना था कि कोविड-19 नियमों के तहत इस समय कहीं भी धरना-प्रदर्शन की इजाजत नहीं है। समझाने के बाद भी महिला धरना-प्रदर्शन करने पर बैठी थीं इसीलिए उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया गया है।

उधर, जेल जाने से पहले महिला ने आरोप लगाया कि अपने ही देश में राष्‍ट्रगान का अपमान करने की शिकायत पर उन्‍हें सजा दी जा रही है। लगता है कि देश में, देश का अपमान करने वालों के खिलाफ बोलने की इजाजत नहीं है।

मिली जानकारी के अनुसार बांदा में सोशल मीडिया पर 15 अगस्त को स्‍वतंत्रता दिवस पर नवाब टैंक में हुए एक कार्यक्रम का वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में कथित तौर पर एक सांसद, चार विधायक, कुछ नेता ओर सरकारी अफसर राष्ट्रगान को बीच में छोड़कर जाते दिखाई दे रहे थे। महिला समाजसेविका ने इसी पर सवाल उठाते हुए शिकायत की थी।

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हालांकि इस बारे में नेताओं और अफसरों ने भी अपने तर्क दिए हैं। उनका कहना है कि कार्यक्रम में साउंड सर्विस वालों ने दोबारा राष्ट्रगान बजा दिया था। जबकि एक बार पहले ही वहां राष्‍ट्रगान हो चुका था जिसमें सभी सावधान की मुद्रा में खड़े होकर राष्ट्रगान कर चुके थे। वहीं इस मामले के शिकायतकर्ताओं का कहना है कि राष्‍ट्रगान तो राष्‍ट्रगान है। यदि यह गलती से बज गया था तो भी लोग कुछ सेकेंड के लिए फिर से खड़े रह सकते थे।

पुलिस ने इस मामले में एक सोशल मीडिया यूजर के खिलाफ वीडियो वायरल करने के आरोप में आईटी एक्‍ट के तहत मुकदमा भी दर्ज किया है। अब एक और केस दर्ज करते हुए महिला समासेविका की धरनास्‍थल से गिरफ्तारी की गई है। इस मामले में समाजसेविका का कहना है कि हमने राष्‍ट्रगान के अपमान की सूचना 16 अगस्‍त को दी थी। इस मामले में एफआईआर न दर्ज किए जाने पर छह महिलाएं धरना देने आईं तो पुलिस ने हमें गिरफ्तार कर लिया।

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