सशस्त्र सेना झंडा दिवस (Indian Armed Forces Flag Day) 7 December को मनाया जाता है। यह दिवस शहीदों और देश की रक्षा के लिए जान गंवाने वाले जवानों के सम्मान में मनाया जाता है। सभी देशवासी इस दिन शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं। हमारे देश के सैनिक हमारे देश की बड़ी संपत्ति हैं, इन्होनें हमारे देश को हर एक तरह की परिस्थिति में संभाले रखा है। सशस्त्र सेना झंडा दिवस भारत के तीनों शाखाओं के सैनिकों(जल, थल, वायु) के सम्मान के रूप में मनाया जाता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर जवानों को नमन करते हुए ट्वीट किया,‘सशस्त्र सेना झंडा दिवस’ के अवसर पर, ”मैं भारत की सेनाओं के शौर्य, पराक्रम और बलिदान को नमन करता हूँ। मैं सभी देशवासियों से अपील करता हूँ कि यह पूरा महीना ‘गौरव माह’ के रूप में मनाएं और सशस्त्र सेना ध्वज धारण कर Armed Forces Flag Day Fund में उदारतापूर्वक योगदान करें।”
सशस्त्र सेना झंडा दिवस का इतिहास
28 अगस्त, 1949 को भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री Baldev Singh के अधीन एक समिति का गठन किया गया था। उस समिति ने फैसला किया कि प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को झंडा दिवस मनाया जाएगा। सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाने के पीछे का शुरुआती विचार यह था कि नागरिकों को छोटे झंडे वितरित किए जाएंगे और बदले में सैनिकों के लिए चंदा(Fund) इकट्ठा किया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि यह भारत के आम लोगों की जिम्मेदारी है कि वह सेना के सभी जवानों के परिवारों की देखभाल करें जो देश की रक्षा करने के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस का महत्व
यह देश के सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वे शहीदों और जो अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए घायल हुए है इन सैनिकों के साथ-साथ उनके परिवारों की भी प्रशंसा करे। सशस्त्र सेना झंडा दिवस मुख्य रूप से हमारे देश के पूर्व सैनिकों और तत्कालिन सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए मनाया जाता है। यह दिवस युद्ध में शहीदों और घायल सैनिकों के पुनर्वास के लिए मनाया जाता है। यह दिवस पर सरकार चंदा(Fund) इकट्ठा करके मनाती है।
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