पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के कॉमेडी शो में काम करने को लेकर पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने सिद्धू का पक्ष लिया।

हाइकोर्ट ने सरकार और सिद्धू को फटकार लगाते हुए कहा, ‘क्या कोर्ट सिर्फ एक्टिंग फॉरमेलिटी है। हम कोड ऑफ कंडक्ट लागू नहीं कर सकते, लेकिन सार्वजनिक आचरण पर बात हो सकती है। सार्वजनिक व्यक्ति का एक आचरण होता है।’ हालांकि, कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त तक स्थगित कर दी है और याचिकाकर्ता को निर्देश दिए कि अगली सुनवाई पर नैतिक नहीं, कानूनी तथ्य रखें। इससे लग रहा है कि इस मामले में सिद्धू को कुछ राहत मिल सकती है

हाइकोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने कहा था, ‘कानून में नवजोत सिंह सिद्धू को टीवी में काम करने से रोकने का कोई प्रावधान नहीं। मंत्री सिविल सर्वेंट की तरह सरकारी कर्मचारी नहीं है, बल्कि खास मकसद से नियुक्त किया गया एक मंत्रालय का हेड है। राजकीय कर्मचारी नियम 1966 मंत्रियों पर लागू नहीं होता। सरकार के नियम मंत्रियों के लिये नहीं। कानून में ऐसा कुछ परिभाषित नहीं किया गया। सरकारी अफसर चुनाव नहीं लड़ सकते लेकिन मंत्रियों पर ये नियम लागू नहीं।’

हाइकोर्ट में एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने कहा, ‘केंद्र सरकार का कोड ऑफ कंडक्ट स्टेट लागू करने के लिये बाध्य नहीं है और कोर्ट भी ये कोड ऑफ कंडक्ट लागू नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट के एनटी रामाराव और करुणानिधि के इसी तरह के मामलों के जजमेंट के मुताबिक कोर्ट मंत्रियों के कंडक्ट को लेकर कुछ भी लागू नहीं कर सकता या निर्देश नहीं दे सकता, क्योंकि कानून में ऐसा कोई अधिकार कोर्ट को नहीं दिया गया।

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