Gyanvapi Case: ‘व्यासजी के तहखाने’ में पूजा पर रोक नहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट में अगली सुनवाई 6 फरवरी को

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ज्ञानवापी मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को विशेष आदेश देते हुए जगह को संरक्षित करने को कहा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने व्यास जी तहखाने में पूजा पर किसी तरह की रोक नहीं लगाई है। बता दें कि ज्ञानवापी केस में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज की सुनवाई पूरी हो गई है। मस्जिद कमेटी को कोई राहत नहीं मिली है और मस्जिद कमेटी की याचिका में व्यास तहखाना में पूजा पर रोक लगाने की मांग की गई है। व्यास जी तहखाने में 30 साल बाद गुरुवार को पहली बार पूजा की गई थी। अब इस मामले में अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी।

वाराणसी जिला जज ने 31 जनवरी को व्यासजी तहखाने में पूजा कराने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पुजारी की नियुक्ति का आदेश दिया। व्यासजी तहखाने के देखभाल की जिम्मेदारी कोर्ट ने डीएम को सौंपी है। कोर्ट ने यूपी के एडवोकेट जनरल से कानून व्यवस्था को लेकर जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया है। डीएम वाराणसी को सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने का आदेश भी कोर्ट ने दिया। जिला जज वाराणसी के आदेश से व्यासजी तहखाने में पूजा अर्चना शुरू हो गई। मस्जिद पक्ष ने व्यासजी तहखाने में पूजा के जिला जज के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है।

ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील ने वाराणसी जिला जज के 31 जनवरी के आदेश पर आपत्ति जताई। कोर्ट में वकील ने आदेश को पढ़कर कई बिंदुओं पर अपना एतराज जताया। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने मस्जिद कमेटी के वकील से पूछा कि आपने डीएम को रिसीवर नियुक्त किए जाने के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती क्यों नहीं दी? सीधे 31 जनवरी के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की है। ऐसे में यह बताइए कि आपकी अर्जी की पोषणीयता क्या है? क्या उस पर सुनवाई की जा सकती है? 31 जनवरी का आदेश 17 जनवरी को डीएम को रिसीवर नियुक्त किए जाने के आगे की कड़ी है। मस्जिद कमेटी के वकील इस पर अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं।

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष ने 17 जनवरी के आदेश को चुनौती नहीं दी है जबकि 31 जनवरी वाला आदेश सही है और मुस्लिम पक्ष की अपील सुनने योग्य नहीं है। हिन्दू पक्ष ने कहा कि तहखाने में कोई दरवाजा नहीं था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कृपया वहां कानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करें। डीएम खुद सुरक्षा देखें और कोई अनहोनी नहीं होनी चाहिए।

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