500 और 2000 के नोट में सरकार फिर से बदलाव करने जा रही है। काले धन के बाद अब सरकार जाली नोटों के खेल को भी खत्म करना चाह रही है। इसी के मद्देनजर अब सरकार नोटों के सिक्योरिटी फीचर्स में एक तय अंतराल पर बदलाव करने के बारे में सोच रही है। 500 और 2000 के नोटों में ये बदलाव हर 3-4 साल में किए जाएंगे। केंद्र सरकार बैंक नोटों के ऊपर लगे सिक्योरिटी मार्क को हर तीन से चार साल में बदलने का प्लान बना रहा है। जालसाजी की जांच के लिए सरकार वैश्विक मानकों के अनुसार 2,000 रुपए और 500 रुपये जैसे बड़े मूल्य वर्ग के नोटों के सिक्योरिटी मार्क यानी सुरक्षा चिन्ह बदलने का प्लान बना रही है।
दरअसल सरकार इसलिए भी यह कदम उठाने जा रही है क्योंकि नोटबंदी के बाद पिछले चार महीनों में नकली भारतीय करेंसी बड़ी मात्रा में जब्त की गई है। गुरुवार को वित्त और गृह मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों और केंद्रीय गृह सचिव के साथ हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। नोटों पर लगे सिक्योरिटी मार्क को बदलने की वकालत करते हुए गृह मंत्रलायों के अधिकारियों ने कहा कि अधिकतर विकसित देश अपने करेंसी नोटों पर लगे सिक्योरिटी मार्क को हर तीन से चार सालों में बदलते रहते हैं। अधिकारियों का मानना है कि भारत को भी इस नीति का पालन करना चाहिए। साल 2000 में लॉन्च होने के बाद से 1000 के नोट में नोटबंदी से पहले कोई बदलाव नहीं किया गया था जबकि 1987 में लॉन्च होने के बाद से 500 के नोट में लगभग एक दशक पहले कुछ मामूली बदलाव किए गए थे।
अधिकारियों के मुताबिक नए नोटों में भी कोई अतिरिक्त सिक्योरिटी फीचर नहीं है ये नोट भी पुराने नोटों के जैसे ही हैं। इसकी वजह से ही बड़ी मात्रा नए नोटों के भी जाली नोट मार्केट में आ गए। इन्हीं खतरों पर संज्ञान लेते हुए सरकार ने हर 3-4 साल में बड़े नोटों के सुरक्षा फीचर को बदलने का विचार कर रही है।