सरकार ने गूगल और फेसबुक जैसी इंटरनेट सेवाएं देने वाली कंपनियों से टैक्स वसूलने के लिए नया तरीका निकाला है। सरकार ने इन कंपनियों से कहा है कि वह अपने भारतीय उपयोगकर्ताओं का डाटा भारत में ही सुरक्षित रखें। इससे जहां उपयोगकर्ताओं का डाटा सुरक्षित रहेगा, साथ ही इन कंपनियों की ओर से स्थानीय स्तर पर बेचे जाने वाले विज्ञापनों पर टैक्स की मांग की जा सकेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटी को यह जानकारी दी है। भारत में कारोबार कर रहीं विदेशी कंपनियां भारत के टैक्स अधिकार क्षेत्र से बाहर रहकर काम कर रही हैं। यह अधिकतर सेवाएं विदेशों से दे रही हैं, इसलिए टैक्स चुकाने से बच जाती हैं। गौरतलब है कि सरकार उन्हीं कंपनियों से टैक्स वसूल कर सकती है, जिसकी मौजूदगी भारत में हो।

फेसबुक भारत में मौजूद रहे बिना अपनी सभी सेवाएं दे सकता है। सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘सब्सिडियरी कंपनीज यहां हैं, लेकिन वह सीमित कारोबार कर रही हैं।’  ‘जब आप (भारतीय यूजर) फेसबुक या गूगल पर साइन अप करते हैं तो आपका कॉन्ट्रैक्ट उनके भारतीय ऑफिस के साथ नहीं होता, इसलिए मेरी समझ में कुछ और भी कारण हैं, लेकिन लोकल सर्वर पर डेटा स्टोर होने से टैक्सेशन और रेवेन्यू में मदद मिलेगी।’

अधिकारी ने कहा कि यह फेसबुक तक सीमित नहीं है, बल्कि उन सभी विदेशी ऑनलाइन कंपनियों पर लागू होगा जो यहां कारोबार करती हैं। उन्होंने कहा, ‘कोई कह सकता है कि सरकार को फेसबुक से कमाई नहीं करनी चाहिए, लेकिन हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते हैं कि वह बहुत पैसा बना रहे हैं। यदि किसी भारतीय कंपनी ने ऑनलाइन या ऑफलाइन कारोबार से इतनी कमाई की होती तो उन्हें बहुत टैक्स देना पड़ता…तो फिर उन्हें क्यों छोड़ दिया जाए।’

डेटा साइट स्टैटिस्टा के मुताबिक, अक्टूबर तक फेसबुक के भारत में 29.4 करोड़ यूजर्स हैं, जबकि इसके मैसेजिंग प्लैटफॉर्म वॉट्सऐप ने फरवरी में कहा था कि देश में उसके 20 करोड़ उपयोगकर्ता हैं। दोनों ही कंपनियों के लिए यह सबसे बड़ा यूजर बेस है।  फेसबुक और गूगल ने इस मसले पर ईटी के द्वारा ईमेल से पूछे गए सवालों पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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