झारखंड के खूंटी जिले में मानव तस्करी और पलायन के खिलाफ नुकक्ड़ नाटक करने पहुंची पांच लड़कियों के साथ गैंग रेप का मामला सामने आया है ।घटना मंगलवार को दिन के एक बजे हुई लेकिन शुरु में इस घटना को दबाने की कोशिश की गई । बाद में मामला खुला तो पुलिस हरकत में आई । पुलिस इस मामले में एक चर्च के एक पादरी सहित 8 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है । नुक्कड़ नाटक दल में पांचों लड़कियों सहित कुलस 11 लोग थे । इसमें दो बच्ची और एक ड्राइवर भी शामिल था । वारदात मंगलवार की है, लेकिन पुलिस को इसकी सूचना बुधवार की रात करीब आठ बजे हुई़। तुरंत एक पीड़िता की पहचान कर रात लगभग ढाई बजे सदर अस्पताल में उसका मेडिकल कराया गया । गुरुवार को जांच के लिए डीआइजी अमोल होमकर खूंटी पहुंचे और उपायुक्त के साथ पांच घंटे की बैठक के बाद पत्रकारों को घटना की जानकारी दी । पुलिस ने गैंग रेप की इस घटना के पीछे पत्थलगड़ी समर्थकों का हाथ बताया है ।.मामले की जांच और कार्रवाई के लिए पुलिस की तीन स्पेशल टीमों का गठन किया गया है।
खूंटी जिले में एक एनजीओ से जुड़ी पांच लड़कियां एक गाड़ी से नुक्कड़ नाटक के लिए कोचांग बाजार गए थे । वहां नुक्कड़ नाटक करने के बाद टीम के सभी सदस्य पास के एक मिशन स्कूल में नाटक करने पहुंचे ही थे कि दो मोटर साइकिल पर सवार पांच-छह की संख्या में अपराधी वहां पहुंचे और हथियार दिखा कर लड़कियों को एनजीओ की गाड़ी से उठा कर ले गए । अपराधी लड़कियों को लगभग 10 किलोमीटर दूर लोबोदा जंगल ले गये जहां पांचों लड़कियों के साथ गैंग रेप किया गया। बताया जाता है कि अपराधियों ने इसका वीडियो भी बनाया और चेतावनी दी कि किसी को बताया, तो वीडियो वायरल कर देंगे ।इसके बाद शाम छह बजे सभी लड़कियों को छोड़ दिया गया ।
वारदात में शामिल अपराधी पत्थलगड़ी समर्थक बताये जा रहे हैं । लड़कियां मानव तस्करी के खिलाफ नुक्कड़ नाटक करने गयी थीं। पुलिस पीडित लड़कियों के बयान के के आधार पर अपराधियों को पकड़ने में जुटी हुई है ।इस मामले में एक चर्च के फादर की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं । सवाल इस बात पर भी उठ रहे हैं कि पलायन और मानव तस्करी के खिलाफ समाज को जागरुक करने वालों को इस तरह से निशाना बनाना आखिर किस मानसिकता का परिचाय़क है ?
क्या है गैंग रेपसे पत्थऱगढ़ी का संबंध
झारखंड पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद कहा है कि गैंग रेप के पीछे पत्थरगढ़ी समर्थकों का हाथ है । पुलिस के इस बयान के बाद पत्थरगढ़ी विवाद फिर से सुर्खियों में आ गया है । दरअसल, पिछले कुछ महीनों से बिरसा मुंडा की धरती खूंटी और आसपास के कुछ खास आदिवासी इलाको के आदिवासी, पत्थलगड़ी कर ‘अपना शासन, अपनी हुकूमत’ की मुनादी कर रहे हैं । पांचों लड़कियों को जिस कोचांग गांव से अगवा किया गया वह पत्थरगढी आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है । 25 फरवरी को खूंटी के कोचांग समेत छह गांवों में पत्थलगड़ी कर आदिवासियों ने अपनी कथित हुकूमत की हुंकार भरी थी । उस वक्त आदिवासी भावनाओं की बात कह कर पुलिस-प्रशासन ने कोई परोक्ष दखल नहीं डाला था ।
पिछले कुछ समय में इस इलाके में ग्राम सभाएं कई तरह के फरमान तक जारी कर चुकी है और कई गांवों में तो पुलिस वालों को भी बंधक बनाया गया ।आदिवासी समाज में गांवों में विधि-विधान के साथ पत्थलगड़ी (बड़ा शिलालेख गाड़ने) की परंपरा पुरानी है । इनमें मौजा, सीमा, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी खुदी होती है। वंशावली, पुरखे तथा मरनी (मृत व्यक्ति) की यादों को संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है।
पत्थरगढ़ी को इस क्षेत्र में कई तरह से परिभाषित करने की कोशिश की जा रही है। इसके तहत यह साबित करने की कोशिश हो रही है कि आदिवासियों के स्वशासन व नियंत्रण वाले क्षेत्र में गैररूढ़ी प्रथा के व्यक्तियों के मौलिक अधिकार लागू नहीं है । लिहाजा इन इलाकों में उनका स्वंतत्र भ्रमण, रोजगार-कारोबार करना या बस जाना, पूर्णतः प्रतिबंधित है।.
पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में संसद या विधानमंडल का कोई भी सामान्य कानून लागू नहीं है.
अनुच्छेद 15 (पारा 1-5) के तहत एसे लोगों जिनके गांव में आने से यहां की सुशासन शक्ति भंग होने की संभावना है, तो उनका आना-जाना, घूमना-फिरना वर्जित है. वोटर कार्ड और आधार कार्ड आदिवासी विरोधी दस्तावेज हैं तथा आदिवासी लोग भारत देश के मालिक हैं, आम आदमी या नागरिक नहीं ।