अब AAP का क्या होगा? केजरीवाल की गिरफ्तारी के अंदेशे से उठने लगे सवाल; पार्टी अपना सकती है ये प्लान…

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आम आदमी पार्टी गले तक संकट में फंस चुकी हैं, शराब घोटाले में पार्टी के दो दिग्गज पहले ही नप चुके थे और अब पार्टी का चेहरा यानी अरविंद केजरीवाल की किस्मत दांव पर है। सवाल ये है कि 2 नवंबर को केजरीवाल जब शराब घोटाले में ईडी के सामने पेश होंगे तो क्या उनका भी हाल वही होगा जो उनके डिप्टी रहे मनीष सिसोदिया का हुआ था या फिर संजय सिंह का हुआ था।

शराब घोटाले के आरोपों ने आम आदमी पार्टी को अब तक के सबसे मुश्किल संकट में डाल दिया है। हालात ऐसे हो चुके हैं कि अगर दिल्ली के सीएम केजरीवाल नपे तो पार्टी ही हाशिये पर चली जाएगी क्योंकि AAP में नंबर टू की हैसियत रखने वाले मनीष सिसोदिया पहले से जेल में हैं और केजरीवाल के संकटमोचक कहे जाने वाले संजय सिंह भी फंस चुके हैं। ऐसे में 2 नवंबर को केजरीवाल की ईडी के सामने पेशी पर पूरे देश की निगाहें हैं क्योंकि ये मामला सिर्फ इसका नहीं कि केजरीवाल की गिरफ्तारी होती है या नहीं बल्कि इसका है कि अगर केजरीवाल फंसे तो AAP का क्या होगा।

सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी ये मानकर चल रही है कि गुरुवार 2 नवंबर को जब अरविंद केजरीवाल प्रवर्तन निदेशालय यानि ED की दफ्तर पूछताछ के लिए जाएंगे तो उनकी गिरफ्तारी तय है तो ऐसे में सवाल उठता है कि फिर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार कैसे चलेगी। आम आदमी पार्टी का फाइनल प्लान तो अभी सामने नहीं आया है लेकिन पार्टी के भीतर जो चर्चा चल रही है उसके मुताबिक अगर गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ED गिरफ्तार भी कर लेती है तो भी अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने रहेंगे।

कानूनी बाध्यता भी नहीं है कि कोई मुख्यमंत्री अगर गिरफ्तार हो जाए तो उसको पद छोड़ना पड़ता हो। वैसे, देश के इतिहास में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि पद पर रहते किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हुई हो। लेकिन अगर ऐसा हुआ भी तो एक थ्योरी ये कहती है कि केजरीवाल गिरफ्तार हुए भी तो भी दिल्ली की सरकार जेल से चल सकती है। केजरीवाल सरकार में मंत्री और AAP के सीनियर लीडर सौरभ भारद्वाज से जब इन कयासों के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था,” अगर सारे नेताओं को इस तरह से ही जेल में डाला जाएगा तो जाहिर है जेल से ही सरकार और पार्टी चलेगी।”

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार में कोई विभाग अपने पास नहीं रखा है ऐसे में रोजमर्रा के काम के निपटारे , फाइलों पर दस्तखत करने का मसला उनके साथ नहीं लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर नियमित रूप से जो फैसले लेने होते हैं या मंत्रियों और अफसरों के साथ चर्चा करनी होती है वो अरविंद केजरीवाल जेल में रहते हुए कैसे ऐसा कर सकेंगे, ये भी देखने की बात है।

वैसे ये कयास हैं लेकिन चर्चा ये भी है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी की सूरत में पार्टी और सरकार का दारोमदार किसके कंधों पर होगा। सूत्र बताते हैं कि केजरीवाल गिरफ्तार होते हैं तो अतिशी और सौरभ भारद्वाज को ये जिम्मा सौंपा जा सकता है। आतिशी इस समय दिल्ली सरकार के ज्यादातर विभाग संभाल रही हैं ऐसे में सरकार चलाने में उनका अहम रोल रह सकता है। साथ में पार्टी का सबसे बड़ा महिला चेहरा भी आतिशी हैं तो पार्टी में भी उनका अहम रोल रह सकता है।

सौरभ भारद्वाज के पास दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय जैसा बेहद अहम मंत्रालय है। इसके अलावा शहरी विकास मंत्रालय इसके तहत दिल्ली नगर निगम आता है वो भी सौरभ के पास है। सौरभ भारद्वाज अब भी पार्टी की काफी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और आगे भी पार्टी में काफी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आने की संभावना है। सौरभ को मीडिया मैनेज करने में भी माहिर माना जाता है।

आम आदमी पार्टी के नेताओं को केजरीवाल की गिरफ्तारी के पूरे आसार लग रहे हैं और इसलिए पार्टी नेताओं के बयान भी इस बारे में आने लगे थे। घोटालों की आंच में तप रही आम आदमी पार्टी के लिए पहली बोहनी सतेंद्र जैन की गिरफ्तारी से हुई थी, फिर तो सिसोदिया अंदर गए और फिर संजय सिंह। राघव चड्ढा का नाम भी उछलता रहा लेकिन इस बार तो निशाने पर सीधे सीधे केजरीवाल हैं। जिनके बगैर आप की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

शराब घोटाले पर देश की अलग-अलग अदालतों से अब तक सिसोदिया या संजय सिंह को कोई राहत नहीं मिली है। सिसोदिया तो फरवरी में ही फंस गए थे, अब तो उनकी दीवाली भी जेल में काली होने की तैयारी है जबकि संजय सिंह पर कुछ अरसा पहले शिकंजा कसा था। कानून अपना काम कर रहा है लेकिन आम आदमी पार्टी इसे मोदी विरोध का खामियाजा मानती है। आम आदमी पार्टी का मानना है कि वही एक ऐसी पार्टी है जो नरेंद्र मोदी और बीजेपी को टक्कर दे सकती है, और इसलिए एजेंसिया आप नेताओं को टारगेट कर रही हैं, निशाने पर केजरीवाल हैं जिन्हें राजनीतिक तौर पर खत्म करने के लिहाज से ये दांव चला गया है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि अदालत बार-बार पूछ रही है कि दिल्ली एक्साइज पॉलिसी से जुड़े मामले में ‘मनी ट्रेल’ का सुबूत कहां हैं। लेकिन अभी तक न तो सीबीआई और ना ईडी कोई ‘मनी ट्रेल’ पेश कर पाई है। अदालतों की सुनवाई में अब तक जांच एजेंसियों की ओर से कोई पुख्ता सुबूत भी सामने नहीं रखा गया है । फिर भी जांच लंबी खिंचने पर एक्सपर्ट्स भी सवाल उठाने लगे हैं और ऐसे में केजरीवाल को ईडी के समन पर भी सवाल उठने लगे हैं। जाहिर है जब केजरीवाल नपेंगे तो वो आधार ही हिल जाएगा जिस पर आम आदमी पार्टी का सियासी महल खड़ा है। यानी दो राज्यों दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही AAP का भविष्य मंझधार में फंस जाएगा।

ऐसे भी आरोप लगते रहे हैं कि आम आदमी पार्टी अक्सर बीजेपी की बी टीम की तरह बर्ताव करती रही है। एमपी और राजस्थान में उम्मीदवार खड़े करने के AAP के फैसले के पीछे बीजेपी की बी टीम होने वाली थ्योरी है। यानी जिन राज्यों में आधार नहीं है वहां अगर आप उम्मीदवार उतारेगी तो इसका सीधा मतलब बीजेपी को इनडायरेक्टर तौर पर फायदा पहुंचाना है क्योंकि AAP जो वोट काटेगी तो वो कांग्रेस का ही वोट कटेगा। ऐसे में सवाल ये है कि बीजेपी क्या अपनी ही बी टीम कही जा रही पार्टी को संकट में डालेगी।

जाहिर सी बात है राजनीति में सत्ता की ताकत सबसे अहम होती है और चाहे बीजेपी हो या कोई भी पार्टी वो कभी अपने विरोधी दलों को मजबूत होते नहीं देख सकती। आम आदमी पार्टी की मुसीबत के पीछे भी यही वजह राजनीतिक विशेषज्ञ तलाश रहे हैं।

आम आदमी पार्टी की एक दलील ये भी है जो शराब नीति हरियाणा में चल रही है उसी पैटर्न पर दिल्ली में भी एक्साइज नीति बनाई गई थी। फिर हरियाणा सरकार को क्यों बख्श दिया गया लेकिन सवाल ये है कि अगर आम आदमी पार्टी के पास कोई सुबूत हैं तो वो बजाय आरोप सामने लाने के उन सुबूतों को सामने क्यों नहीं लाती।

यानी घूमफिकर सवाल फिर से वही है कि अगर केजरीवाल भी फंसे तो आम आदमी पार्टी के पास चारा क्या है। आतिशी, सौरभ भारद्वाज या फिर केजरीवाल की पत्नी सुनीता भारद्वाज। इन तीनों में चाहे किसी भी विकल्प को केजरीवाल की जगह फिट करने की कोशिश की जाए, AAP की दाल नहीं गलने वाली ये भी तय है। वैसे भी संगठन और कद में बीजेपी और आम आदमी पार्टी में कोई तुलना नहीं की जा सकती, लिहाजा आम आदमी पार्टी के सूत्रों का ये दावा कि बीजेपी AAP को चुनौती के तौर पर लेती है इसमें भी बहुत दम नहीं है।

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