राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ गुरुवार (4 जनवरी) को CBI की विशेष अदालत सजा का ऐलान करेगी। लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के मामले में 23 दिसंबर को रांची की स्पेशल CBI अदालत ने दोषी करार दिया था। कोर्ट के इस फैसले के बाद लालू यादव को कोर्ट रूम में ही हिरासत में लिया गया था। मामले में बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा को बरी कर दिया गया था। लालू समेत 16 लोगों को सजा सुनाई जानी है।

मामले में पहले बुधवार को सज़ा का ऐलान किया जाना था लेकिन रांची अदालत के एक वकील के निधन के कारण शोक सभा होने और उसके बाद अदालत में कामकाज ना होने के चलते सज़ा के ऐलान को गुरुवार के लिए टाल दिया गया।

कोर्ट ने लालू यादव को धोखाधड़ी, साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप में IPC की धारा 420, 120 बी और पीसी एक्ट की धारा 13( 2) के तहत दोषी करार दिया है।

कितनी हो सकती है सजा ?

कानून के जानकारों का कहना है कि इस मामले में अगर लालू यादव और अन्य को दोषी ठहराया जाता है तो उन्हें अधिकतम सात साल और न्यूनतम एक साल की कैद की सजा हो सकती है । लेकिन CBI अधिकारियों के मुताबिक, इस मामले में गबन की धारा 409 के तहत 10 साल और धारा 467 के तहत आजीवन कारावास की भी सज़ा हो सकती है।

क्या है मामला ?

पुलिस ने 1994 में संयुक्त बिहार के देवघर, गुमला, रांची, पटना, चाईबासा और लोहरदगा समेत कई कोषागारों से फर्जी बिलों के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध निकासी के मामले दर्ज किए। करोड़ों की निकासी के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर साजिश रचकर घोटालेबाजों का सहयोग करने और उन्हें बचाने का आरोप है।

इस मामले में लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, विद्यासागर निषाद, आर के राणा, जगदीश शर्मा, ध्रुव भगत, समेत 22 लोगों के खिलाफ रांची की CBI की विशेष अदालत में मुकदमा चल रहा है। साल 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से पशु चारे के नाम पर अवैध ढंग से 89 लाख, 27 हजार रुपये निकालने का इन पर आरोप है। उस वक्त लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे जिनमें से 11 की मौत हो चुकी है जबकि तीन CBI के गवाह बन गए हैं। सभी के खिलाफ खिलाफ CBI ने 27 अक्टूबर, 1997 को मुकदमा दर्ज किया था।

लालू प्रसाद यादव एवं अन्य के खिलाफ सीबीआई ने आपराधिक षड्यन्त्र, गबन, फर्जीवाड़ा, साक्ष्य छिपाने, पद के दुरुपयोग से जुड़ी भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 120बी, 409, 418, 420, 467, 468, 471, 477 ए, 201, 511 के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) और 13(2) के तहत मुकदमा दर्ज किया था।

इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये अवैध ढंग से निकालने के मामले में सभी आरोपियों को सजा हो चुकी है।

चारा घोटाले के कुल 54 मामले दर्ज किए गए थे। इसमें रांची की CBI अदालत में 53 और पटना CBI कोर्ट में भागलपुर कोषागार से अवैध निकासी का मामला चल रहा है। अबतक 47 मामलों में फैसला आ चुका है। जिसमें 1404 आरोपियों को सजा मिली है।

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