मेघालय हाई कोर्ट के जज ने एक मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की है। जस्टिस एसआर सेन ने कहा कि मैं साफ कर देना चाहता हूं कि किसी को भी भारत को दूसरा इस्लामिक देश बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। भारत को हिंदू राष्ट्र होना चाहिए और उन्होंने पीएम मोदी और ममता बनर्जी से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि देश कहीं इस्लामिक न हो जाए। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों के लिए बनी आचार संहिता में राजनीतिक बयानों की इजाजत नहीं है।
हालांकि, मेघालय हाई कोर्ट के जस्टिस एस आर सेन ने सरकार से ऐसे रूल्स-रेगुलेशंस बनाने की अपील की है, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों में रहने वाले गैर-मुस्लिम समुदाय और समूह को भारत में आकर बसने की इजाजत हो।
न्यायमूर्ति सेन ने कहा, ‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि कोई भारत को इस्लामिक देश बनाने की कोशिश न करे। अगर यह इस्लामिक देश हो गया तो, भारत और दुनिया में कयामत आ जाएगी। मुझे इसका पूरा भरोसा है कि मोदीजी की सरकार मामले की गंभीरता को समझेगी और जरूरी कदम उठाएगी और हमारी मुख्यमंत्री ममताजी राष्ट्रहित में हर तरह से उसका समर्थन करेंगी।’ न्यायमूर्ति सेन ने सरकार से अनुरोध किया कि वह भारत में कहीं से भी आकर बसे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, इसाई, खासी, जयंतिया और गारो समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिक घोषित करे।
मेघालय हाई कोर्ट के जस्टिस एसआर सेन ने कहा कि मेरी नजर में एनआरसी प्रक्रिया में गड़बड़ी है, क्योंकि ज्यादातर विदेशी भारतीय बन गए और मूल भारतीय इससे बाहर रह गए। उन्होंने कहा कि जब देश का विभाजन हुआ तो नेताओं ने भावी पीढ़ियों और देश के हित के बारे में सोचे बिना सीमा रेखाएं तय कर दीं। इससे आज समस्याएं खड़ी हो गई हैं। मैं बराक घाटी और असम घाटी के हिंदुओं से अपील करता हूं कि वे साथ आएं और मिलकर हल पर पहुंचे क्योंकि हमारी संस्कृति, परंपरा और धर्म समान हैं। हमें केवल भाषा के आधार पर एक-दूसरे से नफरत नहीं करनी चाहिए।
पाकिस्तान ने अपने आपको इस्लामिक देश घोषित किया था और तब भारत जो धर्म के आधार पर विभाजित हुआ था उसको भी हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए था, लेकिन वह सेक्युलर देश रह गया। उन्होंने कहा कि इस अदालत को उम्मीद है कि भारत सरकार हिंदू, सिख, जैन, बुद्ध पारसी और ईसाई जो पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए हैं उनको लेकर सचेत निर्णय लेगी।