उत्तर प्रदेश में विकास प्राधिकरण इसलिए बनाया गया ताकि उस इलाके का विकास हो। प्राधिकरण इसलिए बनाया गया कि विकसित शहर बसाया जाए। किसानों ने इसके लिए अपनी खेती की कुर्बानी दी और विकास के नाम पर अपनी जमीन प्राधिकरण को दिया। किसानों ने अपने पुरखों की जमीन विकास के नाम पर दे दी और लेकिन बईमानों ने किसानों की जमीन से काली कमाई कर अपनी जेबें भरी।विकास के नाम पर किसानों ने अपना सब कुछ गवां दिया और नौकरशाहों ने किसानों की जमीन से जालसाजी कर अपनी और अपने रिश्तेदारों को खूब फायदा पहुंचा। प्राधिकरण लूट का अड्डा बनता गया।

जो भी अधिकारी आए वो लूटते रहे। सरकारी खजाने खाली रह गए।सरकारें धृतराष्ट्र की तरह देखती रही और अधिकारी लूटते रहे।नीचे से ऊपर तक कमीशन पहुंचता रहा।नोटों की गड्डी इतनी भारी थी कि किसी की मुंह कभी नहीं खुला। प्राधिकरण कर्ज में डूबता रहा और अधिकारी लूटते रहे।यूपी के प्राधिकरण कर्ज में डूबे हैं।लेकिन अधिकारियों के पास कुबेर की तरह खजाना बढ़ता गया।पहले यादव सिंह ने नोएडा के तीनों प्राधिकरणों को जमकर लूटा। जो भी अधिकारी आए सब प्राधिकरणों को खोखला बनाते चले गए। अब यमुना प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता समेत 20 लोंगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने प्राधिकरण में रहते अरबों का खेल किया।रिस्तेदारों के साथ मिलकर प्राधिकरण को 126 करोड़ का चूना लगाया है। आरोप है कि कंपनियां बनाकर पहले किसानों से जमीन खरीदी और यही जमीन प्राधिकरण ने ऊंचे दामो में खरीद ली। जब गुप्ता यहां से हटाए गए तो यमुना अथॉरटी चेयरमैन प्रभात कुमार को इस घपले की जानकारी हुई तो मुकदमा दर्ज कराया गया।

करोड़ों रूपये का चूना लगाने वाले पीसी गुप्ता के खिलाफ कसना थाना में एफआईआर दर्ज की गई है।रिपोर्ट में बताया गया है कि गुप्ता ने मथुरा जिले के 7 गांवों में 57 हेक्टेयर जमीन खरीदी।गुप्ता ने अपने रिश्तेदारों के नाम 19 कंपनियां बनाई फिर उसी कंपनी से प्राधिकरण को ऊंची कींमत पर जमीन खरीदवा दी। ये अरबों की जमीन अब भी खाली पड़ी है। ये पूरा खेल गुप्ता ने कराई। 2014 में खरीदी गई ये जमीन आज भी खाली पड़ी है। सभी लोगो पर धोखाधडी और साजिश रचने समेत कई धाराएं लगाई गई हैं। अरबों की हेराफेरी में कई नाम आएंगे। अब इस मामले की सीबीआई जांच की मांग हो रही है।

अब सवाल ये उठता है कि कब तक नौकरशाह प्राधिकरण को खोखला बनाते रहेंगे। कब तक जमीन की जालसाजी से अपनी जेबें भरते रहेंगे। कब तक प्राधिकरण लूट का अड्डा बनता रहेगा

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