Congress मना रही है 138वां स्थापना दिवस, जानिए 137 साल में कितनी बदली कांग्रेस

देश के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरु, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल या फिर नेताजी के नाम से लोगों के बीच मशहुर सुभाष चन्द्र बोस के अलावा भी कई बड़े नामों ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत इसी Congress से की।

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देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस आज 137 साल की हो गई है। 28 दिसंबर 1885 को बनी कांग्रेस (Congress) का आजादी से पहले राजनीतिक रूप नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य एक जन आंदोलन का रहा। लेकिन समय के साथ इसका रूप और रंग दोनों बदलते चले गए। कांग्रेस के 138वें स्थापना दिवस पर आज अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के 88वें अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के 24 अकबर रोड़ स्थित मुख्यालय में ध्वाजरोहण किया।

आज देश में भले ही कांग्रेस की स्थिति कैसी भी हो लेकिन देश को ब्रितानी हुकूमत से आजाद कराने में इसके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। 1947 में मिली देश को आजादी के बाद के समय और उसके बाद तक लोग अपने आपको कांग्रेस से जुड़ा बताने पर गर्व महसूस करते हैं। आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाली कांग्रेस एक पार्टी के साथ-साथ एक विचारधारा भी थी।

Congress President Mallikarjun Kharge at AICC Headquarters in Delhi on December 28 2022
Congress President Mallikarjun Kharge at AICC Headquarters in Delhi on December 28, 2022

55 साल तक Congress ने चलाई सरकार

आजादी के बाद के करीब 55 सालों तक देश में कांग्रेस की सरकार रही। देश का संविधान बनने से लेकर देश में स्थापित की गई हरेक व्यवस्था में कांग्रेस की छाप आज भी दिखती है। देश के सबसे बड़े नेता चाहे वे आजादी के आंदोलन से जुडे हों या फिर आजादी के बाद के हों सभी की राजनीतिक जड़ें कांग्रेस से जुड़ी हुई थीं।

देश के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरु, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल या फिर नेताजी के नाम से लोगों के बीच मशहुर सुभाष चन्द्र बोस के अलावा भी कई बड़े नामों ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत इसी कांग्रेस से की।

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28 दिसंबर 1885 को हुआ था कांग्रेस का उदय

15 अगस्त 1947 को देश को मिली आजादी से ठीक 62 साल पहले 28 दिसंबर 1885 को कांग्रेस का गठन किया गया था और इसका पहला अधिवेशन मुंबई में हुआ। पार्टी के पहले अधिवेशन की अध्यक्षता करने का मौका कलकत्ता (अब कोलकाता) हाईकोर्ट के बैरिस्टर व्योमेश चन्द्र बनर्जी (W।C Banerjee) को। इसके बाद अब तक कांग्रेस की कमान 88 अध्यक्षों ने संभाली है।

कांग्रेस की नींव किसी भारतीय ने नहीं रखी थी बल्कि एक रिटायर्ड अंग्रेज अंग्रेज अफसर एओ ह्यूम (एलन आक्टेवियन ह्यूम) ने कांग्रेस की नींव रखी थी। इसके लेकर यह भी कहा जाता है कि तत्कालीन वायसराय लार्ड डफरिन (1884-1888) ने पार्टी की स्थापना का समर्थन किया था। 28 दिसम्बर 1885 को ए।ओ। ह्यूम की पहल पर बंबई (अब मुंबई) के गोकुलदास संस्कृत कॉलेज मैदान में देश के विभिन्न हिस्सों से आये राजनीतिक एवं सामाजिक विचारधारा के लोग एक मंच पर एकत्रित हुए। इस सम्मेलन के बाद ही कांग्रेस का उदय हुआ था।

1912 में हुई एओ ह्यूम की मौत के बाद कांग्रेस ने यह घोषणा की थी कि एओ ह्यूम ही इस पार्टी के संस्थापक हैं। कांग्रेस के गठन को लेकर पार्टी के एक नेता और स्वतंत्रा सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले ने लिखा है कि एओ ह्यूम के अलावा कोई और व्यक्ति कांग्रेस का गठन नहीं कर सकता था।

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आजादी से पहले की कांग्रेस?

अगर हम 1915 से 1947 तक के आजादी के लिए लड़ी जा रही लड़ाई के दौर की बात करे तो यह कांग्रेस का ‘गांधी युग’ रहा। इस समय में महात्मा गांधी ने सत्याग्रह और जन आंदोलन के जरिये स्वाधीनता आंदोलन को देश के कौने-कौने तक पहुंचाया। महात्मा गांधी ने अहिंसा, सर्वधर्म समभाव और रचनात्मक कार्यक्रमों के जरिये न सिर्फ एक सामाजिक क्रांति की शुरुआत की बल्कि उनके नेतृत्व में आजादी का आंदोलन अपने निर्णायक दौर में पहुंचा। इसके साथ ही कांग्रेस को भी आम जनता में व्यापक जनाधार प्राप्त हुआ।

आजादी के बाद की कांग्रेस?

138 साल के अपने इतिहास में कांग्रेस ने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। कांग्रेस ने अपने एक दशक से लंबे इतिहास में जीत और हार दोनों का अनुभव किया। 1977 में आपातकाल के हटने के बाद हुए चुनाव में जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो 1977-78 के दौरान कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज इंदिरा गांधी का साथ छोड़कर सत्तारूढ़ जनता पार्टी में शामिल हो गये। 2 जनवरी 1978 को कांग्रेस एक बार फिर बिखरी और इंदिरा गांधी ने नई पार्टी (कांग्रेस ई) बनाई और देश की जनता ने कांग्रेस ई को ही वास्तविक कांग्रेस मानते हुए 1980 की शुरूआत में ही देश में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में सरकार बनी।

Congress leader at AICC Headquarters in Delhi on December 28 2022
Congress leader at AICC Headquarters in Delhi on December 28, 2022

 बड़े सांगठनिक बदलाव?

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने 1974 में कांग्रेस के संविधान में संशोधन कर प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने का फैसला किया था। राजीव गांधी ने फरवरी 1983 में भारतीय युवक कांग्रेस के जरिये विकास केन्द्र की स्थापना की थी, जिसके माध्यम से युवाओं के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया था।

अगले साल बदल जायेगा दफ्तर

138 साल पुरानी कांग्रेस के लिए यह स्थापना दिवस बहुत काफी खास होने वाला है, क्योंकि 24 अकबर रोड जो बीते 44 सालों में कांग्रेस का मुख्यालय है और कांग्रेस में काफी उतार-चढ़ाव भी देख चुका है में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के 88वें अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे संभवत आखिरी बार ध्वाजरोहण करेंगे। इस दफ्तर में देश के चार प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह और सात पार्टी अध्यक्षों इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव, सीताराम केसरी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे झंडा फहरा चूके हैं।

बीते कई दशकों से कांग्रेस की गतिविधियों का मुख्य केंद्र रहा 24, अकबर रोड स्थित कांग्रेस का दफ्तर मार्च 2023 से नये पते दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर शिफ्ट हो जायेगा। कांग्रेस का नया दफ्तर भाजपा के मुख्यालय के पास ही होगा।

कांग्रेस को लेकर और क्या कुछ बदला?

एक समय लगभग पूरे देश पर एक छत्र राज करने वाली कांग्रेस आज राजनीतिक रूप से उतनी प्रभावशाली नहीं रही। 1991 में हुए आम चुनाव के बाद से कांग्रेस कभी भी अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई। हालांकि 10 साल तक (2004-14) तक कांग्रेस ने यूपीए का नेतृत्व करते हुए केंद्र में सरकार चलाई। अगर राज्यों की बात करें तो कांग्रेस आज केवल देश के तीन राज्यों में ही सरकार चला रही है।

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