बीजेपी के एक और सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी  ने मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज उठाई है। एलजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस ए के गोयल को एनजीटी का चेयरमैन बनाये जाने पर सवाल उठाए हैं। एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान के बेटे और सांसद चिराग पासवान ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर 9 अगस्त से पहले हमारी बातें नहीं सुनी गईं तो दलित सेना भी दलितों के मुद्दों को लेकर सड़क पर उतर जाएगी। उन्होंने कहा कि दलितों के सब्र का बांध टूट रहा है  ।

चिराग पासवान की यह चेतावनी एनडीए गठबंधन के लिए परेशानी वाली साबित हो सकती है, क्योंकि टीडीपी पहले ही अलग हो चुकी है और शिवसेना ने हाल में अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार का साथ नहीं दिया। जेडीयू पहले से हीं सीटों के बंटवारे पर आंखें दिखाता आ रहा है। अब बीजेपी का एक और सहयोगी दल LJP मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ खुलकर सामने आ गया है। अनुसूचित जाति-जनजाति कानून पर फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एके गोयल को एनजीटी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद एलजेपी नेता और पार्टी अध्यक्ष रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने मोदी सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है।

चिराग पासवान ने कहा कि पार्टी इस कानून के मूल प्रावधानों को बहाल करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग पिछले कई महीनों से कर रही है लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि केंद्र से SC/ST एक्ट को फिर से संसद में बिल के तौर पर 7 अगस्त को पेश करने के लिए कहा गया है जिससे पूर्व कानून को बहाल किया जा सके ।

चिराग पासवान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग ने दो फरवरी को आंदोलन के दौरान उग्र प्रदर्शन किया था। जिसके चलते जानमाल का काफी नुकसान हुआ था और हमारी एनडीए सरकार के खिलाफ अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों में बिना वजह अविश्वास का माहौल बना। इस बार प्रदर्शन और ज्यादा उग्र होने की संभावना जताई जा रही हैं, जिसको देखते हुए हमें उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।

लोकसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान के इस तेवर से मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मामले को बढ़ता देख मोदी सरकार संसद के मानसून सत्र के बाद एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम पर अध्यादेश लाने पर विचार कर रही है।

चिराग पासवान के अल्टीमेटम के बाद सियासी हलकों में गरमी बढ़ गई है। बीजेपी नेता सुब्रहमण्यम स्वामी ने एलजेपी की मांग को बेतुका करार देते हुए एलजेपी नेता को पहले संविधान को पढ़ने और उसे समझने की सलाह दी है। जबकि आरजेडी नेता मनोज झा ने चिराग पासवान के अल्टीमेटम को उनकी राजनीति मजबूरी करार देते हुए कहा कि मोदी सरकार एक असंवेदनशील सरकार है और यह चिराग पासवान सिर्फ दिखावा कर रहे  हैं।

हालांकि जेडीयू नेता सुनील सिंह ने मोदी सरकार का बचाव करते हुए कहा कि एनडीए सरकार दलितों की चिंता है और सरकार लगातार दलितों के हित के लिए कदम उठा रही है। लेकिन कांग्रेस खेमे में चिराग पासवान के बयान से उत्साह है। कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा कि एनडीए सरकार के सभी दलित सांसद खुद को दबा और बंधा हुआ महसूस कर रहे हैं और यह मांग उसी का नतीजा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार दलितों के खिलाफ साजिश के तहत काम कर रही है।

कहना न होगा कि चिराग पासवान के तेवर ने जहां विपक्ष के खेमे में उत्साह बढ़ा दिया है वहीं मोदी सरकार के खेमे में अंदर हीं अंदर हलचल है। सरकार की दिक्कत यह है कि एक तरफ विपक्ष सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है, तो दूसरी तरफ समय-समय पर उसके सहयोगी दल भी इस तरह के मुद्दे उठाकर सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहते हैं।

                                                                                                                       एपीएन ब्यूरो

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