आपने बाय वन एंड गेट वन फ्री वाले विज्ञापन तो खूब देखे होंगे, अब जांजगीर-चांपा जिले के इस प्राथमिक स्कूल में इसी तर्ज पर बाय वन एंड गेट फाइव स्कीम को लागू किया गया है। आप अपने बच्चों का पहली क्लास में एडमिशन कराइए और साथ में पांचवी की भी पढ़ाई मुफ्त में पाइए। नहीं समझे तो हम आपको बताते है, दरअसल जांजगीर-चांपा जिले के इस प्राथमिक स्कूल में एक ही क्लास रूम है जिसमें एक से पांच क्लास तक के बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है। ऐसे में जो विषय क्लास फाइव को पढ़ाया जाता है वहीं क्लास वन के बच्चे भी पढ़ते है। है ना शानदार स्कीम, आपको भले ही ये स्कीम पसंद ना आए लेकिन शायद छत्तीसगढ़ सरकार को ये स्कीम बहुत पसंद है तभी तो सभी बच्चे को एक ही बड़े से क्लास रूम में पढ़ाया जा रहा है।

जांजगीर-चांपा जिले के अंतिम छोर में बसे नगर पंचायत डभरा के वार्ड नंबर- 7 में चलने वाले इस प्राथमिक स्कूल का 12 साल बाद भी अपना भवन नहीं बन सका है और बच्चे उधार के इस एक हॉलनुमा कमरे में पढ़ रहे है। दरअसल साल 2006 से नवीन प्राथमिक विद्यालय चल रहा है। इस स्कूल को शुरू करने के वक्त जल्द ही शानदार स्कूल भवन बनाने का वादा किया गया था लेकिन इस वादे को किए 12 साल गुजर गए फिर भी हालात जस के तस हैं।  अपने भवन की आस में इस स्कूल की कक्षाएं मंगल भवन में उधार पर चल रही है। इस उधार की इमारत में एक ही हॉल है जिसमें कक्षा पहली से पांचवी तक के छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। इस हालात में आप बच्चों की परेशानी का अंदाजा लगा सकते हैं लेकिन सरकार सब पढ़े, सब बढ़े का नारा बुलंद कर रही है लेकिन उन्हे शायद इसका मतलब पता नहीं, अगर पता होता तो शायद बच्चों को एक अदद स्कूल के लिए सरकार से इस तरह गुहार नहीं लगानी पड़ती।

एक कमरे में एक से पांच क्लास तक के बच्चे पढ़ाई करते हैं और मिड डे मिल का खाना भी इसी कमरे में खाते है। मिड डे मिल स्कीम के तहत बच्चों के लिए खाना पकाने के लिए यहां रसोई का कमरा भी नही है, जिसके कारण महिला समूह के सदस्य खाना अपने ही घर में बना कर स्कूल में पहुंचा देते है जिसे बच्चे क्साल रूम में ही खाते हैं। इस स्कूल में शिक्षा के अधिकार की जमकर धज्जियां उड़ रही है लेकिन किसी को कोई फिक्र नहीं। पिछले 12 सालों से यहां बच्चे इसी हालात में शिक्षा का अलख जगा रहे हैं लेकिन अब उनका हौसला भी जबाव दे रहा है, तभी तो हर साल छात्र-छात्राओं की दर्ज संख्या घट रही है। फिलहाल में इस स्कूल में मात्र 14 छात्र-छात्राएं बचे हैं।

साल 2006 में जब स्कूल शुरू हुआ तब भवन के अभाव में एक ग्रामीण के घर के बरामदे में संचालित हो रहा था। इसके बाद 2009 से मंगल भवन में विद्यालय चल रहा है। लेकिन स्कूल के लिए आज तक कोई भवन प्रशासन की ओर से स्वीकृत नहीं किया गया है। इस स्कूल में नौनिहालों के लिए किसी भी तरह की कोई सुविधा तक नहीं है।

प्राथमिक स्कूल के भवन नहीं होने की जानकारी मिलने के बाद क्षेत्रीय विधायक युद्धवीर सिंह ने स्कूल की इमारत के लिए DMF फंड से 12 लाख रुपये की स्वीकृति के लिए कलेक्टर को पत्र लिखा है। लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से स्वीकृति नहीं मिली है।

इसे छत्तीसगढ़ सरकार की शिक्षा के प्रति उदासीनता कहे या सरकार के पास धन की कमी लेकिन इन सब का खामियाजा यहां के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। 12 सालों से जांजगीर-चांपा जिले के नगर पंचायत डभरा के बच्चे एक अदद स्कूल की इमारत के लिए तरस रहे हैं। अब देखना है कि ये इतंजार कब खत्म होता है।

एपीएन ब्यूरो

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