उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल में नेता चुनावी प्रचार में जोर-शोर से लगे हुए हैं। चुनाव के इस प्रचार अभियान में नेता जाति और धर्म का जिक्र अक्सर करते हैं। ऐसे नेताओं को चुनाव आयोग ने सख्त चेतावनी दी है। चुनाव आयोग ने कहा है कि नेताओं को प्रचार के दौरान आत्मसंयम बरतने की जरूरत है। चुनाव आयोग ने इस मामले पर सख्ती दिखाते हुए शनिवार को सभी रजिस्टर्ड दलों को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में लिखा है कि प्रचार के दौरान जाति और धर्म की बात करना सही ट्रेंड नहीं है। इससे सभी पार्टियों और उनके नेताओं को बचना चाहिए। जाति और धर्म के नाम पर वोट मांगने वाले नेताओं पर लगाम लगाने के लिए चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों को बकायदा लेटर लिखकर चेतावनी जारी की है।

चुनाव आयोग ने अपने पत्र में लिखा है कि पिछले दिनों जारी की गई एडवाइजरी पर अमल can't describe caste, religious in election campaign : ECनहीं किया। चुनाव प्रचार के दौरान नेता जाति और धर्म से जुड़े बयान अपनी रैलियों और जनसभाएओं में बोलते हैं। हालांकि आयोग ने कहा कि कुछ बयान ऐसे स्थान पर दिए गए हैं जहां पर आचार संहिता लागू नहीं है, लेकिन आधुनिक युग के इस दौर में ऐसे बयान सोशल मीडिया के माध्यम से वारयल हो जाते हैं। ऐसे में उन उम्मीदवारों को परेशानी हो सकती है जहां चुनाव किया जाना है।

आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों से कुछ पार्टी के नेताओं ने अपने भाषणों में जाति-धर्म का जिक्र किया था। जिसके बाद चुनाव आयोग ने चेतावनी जारी की है। इस चेतावनी के बाद जनता दल यूनाटेड के नेता पवन वर्मा ने कहा कि हम चुनाव आयोग की चेतावनी का सम्मान करते हैं लेकिन आयोग पहले भी ऐसी चेतावनी जारी कर चुका है पर नेताओं ने उन पर अमल नहीं किया। पवन वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री खुद भी ऐसी मर्यादाओं का ख्याल नहीं रखते।   

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