हिमाचल प्रदेश की चुनावी सरगर्मियां अब और तेज होने वाली हैं क्योंकि भारतीय जनता पार्टी  ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। भाजपा की ओर से हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर प्रेम कुमार धुमल को मुख्यमंत्री उम्मीदवार का चेहरा होंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस बात की घोषणा की।

हिमाचल प्रदेश के राजगढ़ में आयोजित एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा की। बता दें कि हिमाचल प्रदेश में 9 नवंबर को विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। 18 दिसंबर को यहां मतगणना होगी।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री उम्मीदवार का एलान करते हुए अमित शाह ने कहा कि ‘पूरे देश में बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है, लेकिन अब सब लोग कह रहे हैं कि आखिर हिमाचल में बीजेपी किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है, तो मैं ऐलान करता हूं कि बीजेपी प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में चुनाव में उतर रही है।’

शाह ने बीजेपी की जीत का दावा करते हुए कहा कि अभी धूमल जी पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता हैं लेकिन 18 दिसंबर के बाद धूमल जी हिमाचल के मुख्यमंत्री बनने वाले हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार धूमल इस बार अपनी परंपरागत सीट हमीरपुर के बजाए सुजानपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र की सुजानपुर विधानसभा सीट 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी।

भाजपा के दिग्गज नेता प्रेम कुमार धूमल 1998 से 2003 और 2007 से 2012 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। हालांकि भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा को मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदार माना जा रहा था। लेकिन राज्य के लोगों के बीच आधार होने के कारण अंत में धूमल बाजी मार गए।

इससे पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने वीरभद्र सिंह को अपनी पार्टी का सीएम उम्मीदवार घोषित किया था जो वर्तमान में सूबे के मुखिया हैं।

आइए नजर डालते हैं धूमल की राजनीतिक सफर पर-

73 वर्षीय प्रेम कुमार धूमल का जन्म 10 अप्रैल 1944 को गांव समीरपुर जिला हमीरपुर में हुआ था। उन्होंने 1984 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 1989 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने हमीरपुर सीट से जीत नसीब हुई। 1991 में एक बार फिर धूमल ने हमीरपुर लोकसभा सीट से किस्मत आजमाई और जीत दर्ज की। इसके बाद बीजेपी ने उन्हें हिमाचल प्रदेश राज्य इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया।

1996 के लोकसभा चुनाव में हालांकि उन्हें फिर हार सामना करना पड़ा। बीजेपी-हिमाचल विकास कांग्रेस की गठबंधन सरकार में पहली बार उन्हें राज्य की सत्ता संभालने का मौका मिला। मार्च 1998 से मार्च 2003 तक वह प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद दिसंबर 2007 से दिसंबर 2012 तक वह एक बार फिर मुख्यमंत्री रहे।

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